क्यों कहते हैं जन्म के वक्त बच्चे का रोना जरूरी है... ये है इसके पीछे का कारण
जन्म लेते ही बच्चा आखिर रोता ही क्यों है हँसता क्यों नहीं है. क्या आपको भी इस सवाल का जवाब नहीं मालूम है? इसके पीछे का कारण विज्ञान से जुड़ा है या शास्त्रों से, आइए पता करते है.
क्या आपके दिमाग में भी ऐसा सवाल आता है कि नवजात शिशु पैदा होते ही आखिर रोता क्यों है, शिशु हंसता क्यों नहीं है. इस बात का सही जवाब किसी को नहीं मालूम होगा. इस सवाल का सही जवाब ढूँढने के लिए हम यहाँ विज्ञान और शास्त्र दोनों का अध्ययन करके आपको इसका कारण बताएंगे.
मेडिकल साइंस के अनुसार शिशु के जन्म लेते ही रोने का कारण
मेडिकल साइंस के अनुसार, जब बच्चा मां के पेट में होता है तो एक पैकेट में बंद होता है और उस पैकेट के अंदर एक खास तरह का लिक्विड होता है. बच्चे के फेफड़े तो बन जाते हैं लेकिन काम नहीं करते है क्योंकि उस समय बच्चे को जीवित रहने के लिए मुंह या नाक से सांस लेने की जरूरत नहीं होती है तो यह लिक्विड बच्चे के फेफड़ों में भर जाता है. जब बच्चे का जन्म होता है तो पेट मे उसको जीवित रखने वाला यही लिक्विड बच्चे की मौत का कारण बन सकता है. बच्चे के जन्म लेते ही उसके पैरों को पकड़कर उल्टा लटका दिया जाता है, ऐसा करने से उसके फेफड़ों में भरा लिक्विड निकल जाता है और बच्चा सांस लेना शुरू कर देता है.
जैसे ही बच्चे के फेफड़ों से लिक्विड बाहर निकल जाता है तो वह जल्दी जल्दी सांस को लेता है और फिर रोना शुरू कर देता है. ऐसा करने से बच्चे के फेफड़े काम करना शुरू कर देते हैं और जीवन में कभी बंद नहीं होते हैं. मेडिकल साइंस के अनुसार, फेफड़ों को स्टार्ट करने के लिए रोना आवश्यक होता है. अब भी सवाल वही है कि अगर बच्चे हंसेंगे तब भी फेफड़े सांस लेने का काम शुरू कर सकते हैं. तो अब हमारा सवाल यह है कि पैदा होते ही बच्चा रोता ही क्यों है हंसता क्यों नहीं है. इस सवाल का मेडिकल साइंस के पास कोई जवाब नहीं है.
शास्त्रों के अनुसार शिशु के जन्म लेते ही रोने का कारण
यह बात तो हुई साइंस के नज़रिए से, इसके अलावा नवजात शिशु के पैदा होते ही रोने के पीछे एक पौराणिक कथा भी बताई जाती है. विष्णु पुराण में इस प्रश्न के जवाब का उल्लेख किया गया है. ब्रह्मा जी ने इंसान को बिल्कुल अपने जैसा ही बनाया है इसीलिए ही इंसान को ब्रह्मा जी का अंश कहा जाता है. जब ब्रह्मा जी ने पहला इंसान बनाया था और अपनी गोद में लेकर आत्मा का स्थानांतरण किया तो वह आंख खोलने पर लगातार एक ही सवाल करने लगा कि 'मैं कहां हूं? मैं कहां हूं? मैं कहां हूं?
आत्मा अपने लोक में थी और अचानक उस आत्मा को एक जीवित शरीर दे दिया गया और उसकी जगह मे परिवर्तन आ गया. यह प्रक्रिया आत्मा से संबंधित है इसलिए इसको बंद नहीं किया जा सकता था. ब्रह्मा जी ने सोचा कि जन्म के समय यह उच्चारण सही नहीं है इसलिए ब्रह्मा जी ने बच्चे के स्वरों को नियंत्रित कर दिया. आप कभी ध्यान से सुनेंगे तो नवजात बच्चा जब पहली बार रोता है तो आपको बिल्कुल ऐसा ही सुनाई देगा जैसा विष्णु पुराण मे उल्लेख किया गया है कि मैं कहां हूं? मैं कहां हूं? मैं कहां हूं?
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