शराब, इंसान के दिमाग पर कई तरह से असर करती है. इनमें से एक है याददाश्त का कमजोर होना. अक्सर देखा जाता है कि शराब पीने के बाद लोग पिछली रात की घटनाओं को याद नहीं कर पाते, इस घटना को ब्लैकआउट कहते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
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मस्तिष्क में शराब का क्या असर होता है?
शराब एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का दमनकारी (depressant) है. इसका मतलब है कि ये दिमागी प्रोसेस को धीमा कर देता है. दरअसल दिमाग में लाखों न्यूरॉन्स होते हैं जो एक दूसरे से संकेतों का आदान-प्रदान करते हैं. शराब इन न्यूरॉन्स के बीच संचार को बाधित करती है.
न्यूरोट्रांसमीटर: मस्तिष्क में न्यूरॉन्स एक दूसरे से रसायनों के माध्यम से संवाद करते हैं जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है. शराब इन न्यूरोट्रांसमीटरों के काम करने के तरीके को बदल देती है, जिससे संदेशों का सही ढंग से प्रसारण नहीं हो पाता.
हिप्पोकैम्पस: हिप्पोकैम्पस मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो नई यादें बनाने और पुरानी यादों को संग्रहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शराब हिप्पोकैम्पस को प्रभावित करके याददाश्त को कमजोर बनाती है.
सेरेबेलम: सेरेबेलम मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो संतुलन और समन्वय को नियंत्रित करता है. शराब सेरेबेलम को भी प्रभावित करती है, जिसके कारण शराब पीने के बाद लोग लड़खड़ाते हैं और असंतुलित महसूस करते हैं.
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क्या है ब्लैकआउट?
ब्लैकआउट एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को शराब पीने के बाद कुछ घंटों या दिनों की घटनाओं की याद नहीं रहती. यह एक प्रकार की अस्थायी याददाश्त का नुकसान है. ब्लैकआउट आमतौर पर तब होता है जब व्यक्ति बहुत ज्यादा शराब पीता है. बता दें कुछ प्रकार की शराब अन्य प्रकार की शराब की तुलना में अधिक तेजी से ब्लैकआउट का कारण बन सकती हैं.
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