ED संपत्ति को अटैच ही क्यों करती है? जानिए जब्त और अटैच में अंतर
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी जब किसी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई करती है तो सबसे पहले वो आय से अधिक वाली संपत्ति को अटैच करती है.
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी ने शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुद्रा की 97.79 करोड़ की प्रॉपर्टी कुर्क कर दी. इस प्रॉपर्टी में शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा का जुहू वाला बंगला और फ्लैट भी है. दरअसल, ये कार्रवाई 2002 के बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी है.
इसके बारे में प्रवर्तन निदेशालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूरी जानकारी साझा की है. खैर, आज इस आर्टिकल में हम आपको शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर हुई कार्रवाई के बारे में कम, जब्त और अटैच में अंतर क्या होता है उसके बारे में ज्यादा बताएंगे.
ED संपत्ति अटैच क्यों करती है?
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी जब किसी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई करती है तो सबसे पहले वो आय से अधिक वाली संपत्ति को अटैच करती है. अब समझते हैं कि अटैच करना मतलब होता क्या है. अटैच करना मतलब, जब किसी संस्था को लगता है कि किसी के पास आय से अधिक संपत्ति है तो उसे तत्काल रूप से ईडी जैसी संस्था अटैच कर देती है. इसे आप एक प्रारंभिक प्रक्रिया कह सकते हैं.
जब्त और अटैच में अंतर-
जब्त करना
प्रवर्तन निदेशालय आय से अधिक संपत्ति के मामले में जब्ती की कार्रवाई तब करती है जब आरोपी पर आरोप सिद्ध हो जाते हैं. जब्ती के बाद सामान को सरकार के मालखाने में जमा करा दिया जाता है. जबकि, कुछ मामलों में कोर्ट के आदेश पर संपत्ति की कुर्की भी की जाती है. आपको बता दें कुर्की की कार्रवाई सीआरपीसी यानी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 82 से 86 तक के अंतर्गत होती है.
अटैच करना
आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक कार्रवाई संपत्ति को अटैच करना होता है. हालांकि, कोर्ट ऑफ लॉ के अनुसार, अगर ईडी द्वारा लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं होते तो संपत्ति पर अटैच को हटाया जा सकता है.