Body Fragrance: यह बात आपने भी महसूस की होगी कि लोगों की अपनी ही एक अलग गंध होती है. यह बात सच है कि दुनिया में जितने भी लोग हैं उनके शरीर की गंध भी अलग ही होती है. ठीक वैसे ही हमारी गंध भी एक-दूसरे की गंध से बिल्कुल नहीं मिलती है, जैसे फिंगर प्रिंट्स नहीं मिलते हैं. यही वजह है कि गंध के आधार पर भी किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है. पुलिस के खोजी कुत्ते भी इसी वजह से लोगों को खोज निकालते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? शरीर की गंध का शरीर से किस तरह संबंध है? आइए जानते हैं.
पसीने पर निर्भरता
किसी भी इंसान के शरीर से आने वाली गंध बहुत हद तक उसके शरीर की स्वेद ग्रंथियों से निकलने वाले पसीने पर निर्भर करती है. लेकिन गंध के विशेष होने की मुख्य वजह वो बैक्टीरिया होते हैं, जो वैसे तो त्वचा की सतह पर होते हैं, लेकिन पसीने के संपर्क में आने पर खास गंध पैदा करते हैं.
गंध की वजह है पसीना और बैक्टीरिया
खास बात यह है कि ये बैक्टीरिया हमारी त्वचा की रक्षा भी करते हैं. जैसे ही त्वचा पर कुछ बदलाव होता है, तुरंत ही ये सक्रिय हो जाते हैं और जीवंत तक स्किन पर ही रहते हैं. हर शरीर के साथ बैक्टीरिया पसीने के संपर्क में आने पर खास गंध पैदा करते हैं.
इसीलिए अलग और खास होती है गंध
प्रकृति में करोड़ों तरह के बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं. हर इंसान की स्किन पर जमा होने वाले बैक्टीरिया भी अलग-अलग किस्म के होते हैं. जो एक अलग ही गंध पैदा करते हैं. यही कारण है कि हर इंसान के शरीर से अलग और खास गंध आती है. वैसे ये बैक्टीरिया बिना पसीने के भी खास गंध पैदा करते हैं. ये गंध हमारी बॉडी से तब आती है, जब हम किसी के करीब जाते हैं. हमारा शरीर हवा के कॉन्टैक्ट में आने पर भी अपनी गंध छोड़ता है. हम जहां भी जाते हैं, उठते-बैठते हैं वहां हमारी गंध भी साथ ही जाती है.
दुर्गंध हो सकती है बीमारी का संकेत
बॉडी की गंध किसी की तीखी और किसी की मीठी
ह्यूमन बॉडी से आने वाली गंध के लिए हमारे क्रोमोसोम, खान-पीन और बीमारी भी जिम्मेदार हैं. कई बार शरीर से दुर्गंध आना किसी बीमारी का संकेत होता है. एक नए शोध से पता चला है कि शरीर से आने वाली ऐसी दुर्गंध जो नाक में दम कर दे, फिश ओडोर सिंड्रोम के कारण हो सकती है. इसमें जीन में गड़बड़ी हो जाती है.
ये बीमारियां और खानपान करते हैं गंध को प्रभावित
शरीर की गंध खान-पान और बीमारियों पर भी निर्भर करती हैं. जैसे मधुमेह, गाउट, रजोनिवृत्ति, अतिसक्रिय थायराइड, यकृत रोग, गुर्दा रोग, संक्रामक रोग जैसी बीमारियां भी इस गंध को प्रभावित करती हैं. इसके अलावा खान-पान में प्याज, लहसुन, पत्ता गोभी, ब्रॉकली, फूलगोभी, लाल मांस भी गंध को प्रभावित करते हैं.
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