ट्रेन अक्सर ठंड में लेट हो जाती हैै. कई बार जरूरी ट्रेनों को समय पर पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा कई ट्रेनों को रद्द किया जाता है. बीते नवंबर में ही उत्तर रेलवे ने एहतियातन 62 ट्रेनों को रद्द कर दिया था. वहीं 46 ट्रेनें ऐसी थीं जिनका सफर कम कर दिया गया था. इसके अलावा कुछ ट्रेनें ऐसी थीं जिन्हें निर्धारित दूरी से कम चलाने का फैसला किया गया था. अक्सर ठंड के समय में रेलवे ऐसा करता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि रेलवेे के इतने प्रयास भी कोहरेे से निपटने में नाकाम क्यों साबित हो जाते हैं. यदि नहीं तो चलिए जानते हैं.


कोहरे में क्यों निर्धारित गति से नहीं चल पातीं ट्रेन?
आपके मन में अक्सर ये सवाल उठता होगा कि कोहरे के चलते ट्रेनें अपनी निर्धारित गति सेे क्यों नहीं चल पाती, कभी-कभी गुस्सा भी आता होगा. तो आपको बता दें कि ट्रेन को पटरी के किनारे मौजूद सिग्नल के अनुसार चलना होता है. कोरहरेे के दौरान विजिबिलिटी कम होने के चलते ये सिग्नल देखना पायलट के लिए मुश्किल हो जाता है. 


ऐसे में यदि किसी लाल या हरी बत्ती को देखनेे के लिए पायलट को उसके बहुत करीब जाना पड़ता है और ये करनेे पर वो समय पर ब्रेक भी नहीं लगा सकता. जिसके चलते कभी भी बड़ा रेल हादसा हो सकता है. इसी के चलते ठंड केे मौसम में कोहरे को देखतेे हुए ट्रेन की अधिकतम गति सीमा काफी कम कर दी जाती है और यही ट्रेन के अपनी मंजिल पर देरी से पहुंचने की वजह बन जााती है.


क्या हो सकते हैं उपाय
यदि रेलवे किसी रूट पर एबसोल्यट ब्लॉक सिस्टम लगा दे यानी दो स्टेशनों के बीच एक समय मेें सिर्फ एक ही ट्रेन चलाई जाए तो उस ट्रेन को अधिकतम स्पीड में चलाया जा सकता है, क्योंकि उस समय उस ट्रैक पर कोई दूूसरी ट्रेन नहीं होगी. लेकिन हमारे देश में ट्रेनें सिग्नल से सिग्नल केे बीच चलती हैं. ऐसे में एक ट्रेन यदि लेट चल रही है तो उसके पीछे की सभी ट्रेनें भी लेट हो जाती हैं.   


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