भारत में बदलते मौसम के चलते मौसम विभाग के वैज्ञानिक भी बारिश का सही पूर्वानुमान नहीं लगा पा रहे हैं. बेमौसम बरसात ने सबको हैरत में डाल रखा है. आपने गौर किया होगा कि बारिश पड़ने के बाद वातावरण में एक अलग-सी खुशबू फैल जाती है. आखिर बारिश की बूंदों में ऐसा क्या होता है जो इनके गिरने के बाद चारों ओर से एक भीनी खुशबू आती है? आइए आज इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण को समझते हैं.


बारिश के बाद आने वाली भीनी खुशबू


आपको बता दें कि बारिश की बूंदों में किसी तरह की कोई खुशबु नहीं होती है. दरअसल, जब बारिश की बूंदे धरती पर गिरती हैं और मिट्टी के कणों से जाकर मिलती हैं, उस समय एक प्रकार की सौंधी और भीनी-भीनी खुशबू आती है. इस भीनी-भीनी खुशबू को 'पेट्रिकोर' (petrichor) कहते है. पेट्रिकोर शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द पेट्रा से की गई है, जिसका अर्थ स्टोन या आइकर है. 


ओजोन गैस का पानी मे घुलना 


इस सौंधी खुशबू के आने का पहला कारण है- ओजोन. वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायुमंडल में ओजोन गैस होती है, जिसकी कुछ मात्रा बारिश के दौरान पानी में घुल जाती है और एक सौंधी खुशबू पैदा करती है. ओजोन गैस की गंध लगभग क्लोरीन गैस की तरह होती है.


मिट्टी के बैक्टीरिया


इस महक का दूसरा कारण बैक्टीरिया को बताया जाता है. वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी में कुछ अलग प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जिनके कारण बारिश होने के बाद ये सौंधी महक आती है. दरअसल, मिटटी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया कई तरह के केमिकल्स बनाते हैं, जिसे 'Actinomycetes' कहा जाता है. यही केमिकल्स बारिश के बाद भीनी खुशबू पैदा करते हैं.


पेड़-पौधों का तेल स्रावित करना 


पेड़-पौधे लगातार तेल स्रावित करते रहते हैं. बारिश होने पर उसकी बूंदों के साथ पेड़ पौधों यह तेल पूरे वातावरण में फैल जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश, पानी और मिटटी कुछ इस प्रकार क्रिया करते है, जिससे एक अजीब सी खुशबु या सुगंध आती है. बारिश ना होने पर कुछ पौधें सूख जाते हैं. सूखने पर उनके अंदर उपस्थित तेल निकल जाता है और हवा में गायब हो जाता है. जैसे ही बारिश शुरू होती है तो ये तेल हवा से बाहर निकल जाता है. 


नोकार्डिया बैक्टीरिया


इस भीनी-भीनी खुशबू का ताल्लुक नोकार्डिया बैक्टीरिया से भी काफी गहरा है. बारिश होने पर मिट्टी में पाए जाने वाले 'नोकार्डिया बैक्टीरिया' धरती के गीले हो जाने पर गैसोमाइन नामक रसायन स्रवित करते हैं. जिसकी वजह से मिटटी से खुशबू आने लगती है. 


हवा के बुलबुलों से निकलने वाले कण 


जब बारिश की बूंदें पृथ्वी की छिद्रयुक्त सतह पर पड़ती हैं तो वह बूंदे हवा के छोटे-छोटे बुलबुलों में बदल जाती है. हवा के ये बुलबुले फूटने के पहले ऊपर की तरफ बढ़ते जाते हैं. ये छोटे-छोटे बुलबुले हवा में बहुत छोटे-छोटे कणों को बाहर निकालते है. इन कणो को ‘एरोसॉल’ कहते है. एरोसॉल भी सौंधी और भीनी-भीनी खुशबू पैदा करने में अहम भूमिका निभाते हैं.



यह भी पढ़ें - यहां के लोग नहीं पहनते जूते चप्पल, कभी अस्पताल भी नहीं जाते! भारत के इस राज्य में है ये गांव