Ultrasound Gel : बहुत से ऐसे लोग होंगे जिनको अपने जीवन में किसी कारणवश कभी न कभी अल्ट्रासाउंड करवाया होगा. खासकर महिलाओं ने जरूर कराया होगा. अगर किसी ने नहीं भी करवाया होगा, तो घर के किसी सदस्य का हुआ होगा. जिन्होंने अल्ट्रासाउंड कराया हुआ है, उन्हें यह बहुत अच्छे से मालूम होगा कि अल्ट्रासाउंड करने से पहले डॉक्टर पेट पर एक अजीब सा चिपचिपा जेल भी लगाते हैं. क्या आप यह जानते हैं कि ये जैल क्यों लगाया जाता है? आखिर इस जैल का क्या काम होता है और अगर इसे नहीं लगाया गया तो क्या होगा? 


इसलिए लगाया जाता है जेल


दरअसल, Ultrasound करने के लिए डॉक्टर सोनार और रेडियो तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. इस तकनीक से अल्ट्रासाउंड मशीन आपके शरीर के अंदरूनी हिस्सों की लाइव तस्वीर बना कर देती है. अब सवाल है कि आखिर अल्ट्रासाउंड करते समय शरीर पर चिपचिपा जैल क्यों लगाया जाता है? इसको लेकर कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अगर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन करते समय इस जैल का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो पेशेंट की स्किन और Ultrasound मशीन की प्रोब के बीच एयर आ सकती है. ऐसा होने पर रेडियो और सोनार तरंगों को ट्रैवल करने में दिक्कत हो सकती है. यानी Ultrasound मशीन से आपके शरीर के अंदर के हिस्सों की लाइव इमेज सही से नहीं बन पाएंगी. इस दिक्कत से बचने के लिए अल्ट्रासाउंड करते समय डॉक्टर हमेशा जैल का इस्तेमाल करते हैं.


किस चीज का बना होता है जेल


अल्ट्रासाउंड के दौरान इस्तेमाल होने वाला यह जैल मुख्य रूप से पानी और प्रोपिलीन ग्लाइकोल से बना होता है. यानी आपकी सेहत के लिए यह बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह जैल पूरी तरह से नॉनटॉक्सिक होता है. इसमें किसी भी तरह का कोई विषैला पदार्थ नहीं होता है. यह हर प्रकार को स्किन के लिए बिल्कुल सुरक्षित होता है.


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