आज पूरे देश में करवाचौथ मनाया जाएगा. करवाचौथ का महत्व बहुत ज्यादा होता है और इस दिन हमारे देश में दिवाली जैसी रौनक देखने को मिलती है. करवाचौथ व्रत से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी मानी जाती हैं और चांद की पूजा कर पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. महिलाएं चांद देखकर ही इस दिन व्रत खोलती हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ के दिन ही चांद देरी से क्यों निकलता है? यदि नहीं तो चलिए जान लेते हैं.
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करवाचौथ पर देरी से क्यों निकलता है चांद?
करवाचौथ के दिन चांद देरी से निकलने के पीछे कोई अलौकिक शक्ति या जादू नहीं है, बल्कि इसके पीछे विज्ञान का एक साधारण सा नियम काम करता है. वो नियम है पृथ्वी का घूर्णन और चंद्रमा कि कक्षा. दरअसल पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और इसी कारण दिन और रात होते हैं। पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है. वहीं चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. चंद्रमा को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में लगभग 27.3 दिन का समय लगता है.
आमतौर पर करवाचौथ का त्योहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है. इस समय के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा में थोड़ा सा आगे पीछे होता है. वहीं इस समय पृथ्वी अपनी धूरी पर थोड़ी से झुकी हुई होती है. इसी झुकाव के कारण दिन और रात के समय में बदलाव होता है. ऐसे में करवाचौथ के दिन सूर्य और चंद्रमा की ऐसी स्थिति होती है कि चंद्रमा को दिखाई देने में थोड़ा समय लगता है. वहीं आप जिस जगह पर रहते हैं उस जगह री भौगोलिक स्थिति भी चांद के निकलने के समय को प्रभावित करती है.
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