Sun Colour: तेज़ चमकने वाले सूरज को आपने लाल रंग में बदलते कई बार देखा होगा. ऐसा सूरज के उगते और ढलते समय होता है. इस समय सूरज लाल हो जाता है, आसमान संतरी, गहरा लाल या बैंगनी सा हो जाता है. ये नजारा देखने में बेहद ख़ूबसूरत और रूमानी लगता है. आपके मन में भी ये सवाल आता होगा कि सुबह और शाम के समय होने वाले खूबसूरत बदलाव का कारण क्या है? क्यों सूरज लाल रंग का दिखाई पड़ता है? आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण को. 


यह है कारण


19वीं सदी में ब्रिटिश भौतिक के वैज्ञानिक लॉर्ड रेली ने प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) की घटना के बारे में बताया. प्रकाश का प्रकीर्णन वह घटना होती है, जिसमें सूर्य का प्रकाश सूर्य से बाहर निकलकर जब वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो धूल और मिट्टी के कणों से टकराकर चारों तरफ बिखर जाता है. दरअसल, सूरज से आने वाला प्रकाश स्पेक्ट्रम के सभी रंगों यानी बैंगनी, गहरा नीला, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल से मिलकर बना है. इनमें हर रंग की अपनी-अलग तरंग दैर्ध्य (Wavelength) होती है.


जब सूरज डूबता या उगता है, इसकी किरणें वातावरण की सबसे ऊपर की परत से एक निश्चित कोण से टकराकर गुज़रती हैं, तो नीली रंग की तरंग दैर्ध्य बंट जाती है और अवशोषित होने की वजह से बिखरने लगती है. क्षितिज पर सूर्य का ताप कम होता है, तो प्रकाश की नीले और हरे रंग की तरंगें ज्यादा लंबी दूरी तय नही कर लाती और बिखर जाती हैं, और ऐसे में हमें बची हुईं प्रकाश की तरंगें, नारंगी और लाल ही दिखाई पड़ती हैं और इस तरह आसमान पर ये ख़ूबसूरत मंज़र बन जाता है.


आसमान लाल क्यों होता है


आसमान आपको भले ही लाल लगता है, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि सूरज का रंग बदल गया है. ब्लूमर बताते हैं कि धूल के बादल, धुआं और इसी तरह के आसमान में मौजूद अन्य तत्व इसके रंग पर असर डालते हैं. अगर आप भारत, ऑस्ट्रेलिया, कैलिफॉर्निया, चिली या अफ़्रीका के कुछ हिस्सों या लाल रेत वाले इलाक़ों के आसपास रहते हैं, तो आपका वातावरण मौसम की स्थिति के अनुसार प्रकाश को प्रतिबिंबित करने वाले कणों से भरा हो सकता है. कई बार रेगिस्तान से दूर के इलाकों में भी अलग-अलग रंगों वाले आसमान देखने को मिल सकते हैं. 


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