पानी में भारी भरकम जहाज चलता देख बहुत खुशी भी होती है और मन में एक सवाल भी खड़ा होता है कि आखिर इतना भारी जहाज पानी में डूबता कैसे नहीं है, जबकि इसकी जगह कोई हल्की सी लोहे की वस्तुु भी डाली जाए तो वो डूब जाती है. फंडा बहुत सिंपल है, चलिए इसे समझते हैं.


क्यों पानी में नहीं डूबता जहाज
पानी में बड़े से बड़ा जहाज चलता रहता है, जिसकी वजह एक सिद्धांत है. दरअसल जहाजों या नावों को आर्कीमिडीज के सिद्धांत को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. आसान भाषा में समझें तो आर्किमिडीज का सिद्धांत कहता है कि पानी में डूबी किसी वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला कुल बल वस्तु द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होता है. 


यानी हम जब पानी में लोहे की कोई वस्तु डालते हैं, तो वो अपने भार के बराबर पानी को हटाती हुई नीचे चली जाती है. वहीं जहाज के अंदर जो हवा होती है, वो पानी की तुलना में बहुत कम घनत्व की होती है. यही चीज इसे पानी में डूबने से बचाती है.


पानी में कैसे चलता है जहाज
बता दें हर जहाज को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि उसका इंजन, पैडल व्हील, मशीनों और प्रोपेलर पानी के दवाब को ऊपर करके उसे गति प्रदान करता है, जिससे आगे बढ़नेे के लिए जहाज को हवा मिलती हैै. वैसे तो किसी भी जहाज में प्रोपेलरों की संख्या इसके आकार पर निर्भर करती है, लेकिन अमूमन ज्यादातर जहाजो में प्रोपेलर चार होते हैं. यदि आप अब ये सोच रहे हैं कि ऐसा है तो टाइटैनिक जहाज कैसे डूबा. तो बता दें कि यदि जहाज के टूूटने या उसमें किसी प्रकार का छेद होनेे के वजह से उसमें एक सीमा से अधिक पानी भर जाता हैै तो वो जहाज के भार को बढ़ा देेता है जिसके चलते जहाज अपना रास्ता बनाने की जगह वजन बढ़ जाने के चलते पानी में डूबने लगता है.


यह भी पढ़ें: फ्लाइट में पायलट और को-पायलट को क्यों दिया जाता है अलग-अलग खाना, बेहद दिलचस्प है वजह