Ear Fact: कई बार आपने बहुत से ऐसे लोगों को देखा होगा, जिनकी बहुत फास्ट बोलने की आदत होती है. जब कोई बहुत ज्यादा फास्ट बोलता है तो उससे बात करने में काफी दिक्कत होती है और लोगों की प्रतिक्रिया यह होती है कि आधी से ज्यादा बात तो सिर के ऊपर से निकल गई, कुछ समझ ही नहीं आया! अब सवाल यह बनता है कि ऐसी स्थिति में हमारे कान उस शख्स की आवाज तो सुन रहे होते हैं, लेकिन जब कोई तेज गति से बोलता है तो हम उतनी ही तेज गति से उसे सुन और समझ क्यों नहीं पाते हैं? आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे का विज्ञान क्या है...


ध्वनि क्या है?


Sound यानी ध्वनि को हम सब जानते हैं. ध्वनि एक प्रकार की तरंगे होती हैं, जिनको आगे बढ़ने के लिए किसी माध्यम जैसे ठोस, द्रव या गैस की जरूरत होती है. ध्वनि तरंगों की चाल माध्यम के घनत्व पर निर्भर करती है. ध्वनि की चाल सबसे ज्यादा ठोस में, उसके बाद तरल में और फिर गैस में होती है. ये तरंग अनुदैधर्य यांत्रिक तरंगे होती हैं. जिनकी आवृत्ति 20Hz से 20000Hz के बीच होती है. हमारे कान इसी परास के भीतर की तरंगों को सुन सकते हैं. इस रेंज की तरंगों श्रव्य तरंगे कहते हैं.


आवाज को कैसे समझते हैं हम?


शरीर की बनावट भी अपने आप में एक आश्चर्य ही है. ध्वनि यानी साउंड को सुनने के लिए कान बनाए गए हैं जबकि समझने के लिए इंसान के पास दिमाग होता है. किसी भी आवाज को हमारे कानो से दिमाग तक पहुंचने में 1/10 सेकंड का वक्त लगता है. इतनी देर में दिमाग उस आवाज को पहचान भी लेता है और समझ भी लेता है. इसके बाद दिमाग कान को अगली आवाज सुनने का आदेश देता है.


इसलिए नहीं आता कुछ समझ


अब यदि कोई इंसान 1/10 सेकंड से ज्यादा स्पीड से बोलता है तो उसकी आवाज हमारे कानों से टकराती तो है लेकिन हमारे कान उस आवाज को रिसीव नहीं करते हैं. इसलिए वह आवाज लगातरणदिमाग तक नहीं पहुंच पाती है और हमें समझ में नहीं आती है. यही कारण है कि जब कोई तेज गति से बोलता है तो हमें उसके कुछ ही शब्द सुनाई देते हैं और कुछ नहीं सुनाई देते अर्थात समझ में नहीं आते हैं.


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