कभी आपने ऐसा देखा है कि ट्रेन चल रही हो और ट्रेन की सभी लाइटें बंद कर दी जाए. ट्रेन में आई टेक्निकल खराबी की वजह से कभी कभी ऐसा हो सकता है, लेकिन आम तौर पर ऐसा नहीं होता है. मगर एक ऐसी जगह है, जहां से जब भी कोई लोकल ट्रेन गुजरती है तो उसकी लाइटें बंद कर दी जाती हैं. अब सवाल है कि आखिर ये कहां होता है और वहां ऐसा क्या है कि ट्रेन की लाइटें बंद कर दी जाती है. तो जानते हैं इस रहस्य की क्या कहानी है और किस वजह से ऐसा किया जाता है. 


कहां होता है ऐसा?


आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कहां होता है, तो इसका जवाब है चेन्नई के एक रेलवे स्टेशन के पास. चेन्नई में ताम्बरम रेलवे स्टेशन के पास कुछ देर का रास्ता है, जहां से जब लोकल ट्रेन गुजरती है तो उसकी लाइट सप्लाई बंद कर दी जाती है. ये सिर्फ लोकल ट्रेनों के साथ ही होता है. 


अब सवाल है कि ऐसा क्यों किया जाता है... तो इसका जवाब कोरा पर एक लोको पायलट ने लिखा है. लोको पायलट की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, जिस जगह की बात की जा रही है, वो सिर्फ कुछ ही दूरी का हिस्सा है. इस छोटे से हिस्से में ओएचई में करंट नहीं है. इसका मतलब है कि जो उपकरण इलेक्ट्रिक लोकोमॉटिव को बिजली प्रदान करते हैं, वहां के ओवर हेड इक्विपमेंट में करंट नहीं होता. ऐसी जगहों को नेचुरल सेक्शन कहा जाता है. 


यह जगह रेलवे की ओर से बनाई जाती हैं और ये बनाने का उद्देश्य ओवरहेड वोल्टेज और करंट को बनाए रखना है. इसे सीयूटी करंट कहा जाता है और इससे नए करंट जोन की शुरुआत होती है. जिस वजह से कुछ दूर तक बिजली नहीं होती है और नए करंट जोन की वजह से बिजली की दिक्कत होती है. वहीं, जो लोकल ट्रेन की लाइटें होती हैं, वो ड्राइवर के केबिन से चलती है और इनका पावर सिस्टम अलग होता है और ये इस जगह प्रभावित होता है.


वहीं, एक्सप्रेस ट्रेन और पैसेंजर ट्रेन में कोच के लिए अलग-अलग बिजली आपूर्ति की व्यवस्था होती है, इससे उन ट्रेनों में दिक्कत नहीं होती है. ऐसे में नए करंट जोन की वजह से यहां से जाने वाली लोकल ट्रेन की लाइटें बंद हो जाती हैं.


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