1.5 को डेढ़ क्यों बोलते हैं... साढ़े 1 क्यों नहीं? जानें इसके पीछे का कारण
डेढ़ और ढाई जैसे शब्द शुरू से ही भारत के मूल गणित के शब्द रहे हैं. इसके अलावा भारत में सवा और पौने शब्द का भी चलन है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
लोगों के मुंह से अक्सर आपने डेढ़ और ढाई जैसे शब्द सुने होंगे. लोग 1.5 को डेढ़ और 2.5 ढाई बोलते हैं जबकि 3.5, 4.5 और 15.5 को साढ़े 3, साढ़े 4 और साढ़े 15 कहते हैं. आपको बता दें कि यह सिर्फ गिनती में ही नहीं बल्कि टाईम बताने में जैसे डेढ़ बज रहा है या फिर ढाई बज रहा है. वजन बताने में भी यही फंडा लागू होता है. जैसे डेढ़ किलो, ढाई किलो. ऐसे ही हर मापदंड में डेढ़ और ढाई का इस्तेमाल होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि लोग ऐसा क्यों कहते हैं. क्यों 1.5 और 2.5 को डेढ़ या ढाई बोलते हैं. अगर आपको नहीं पता तो चलिए हम आपको इसके पीछे का कारण बता देते हैं.
तो ये है असली वजह
दरअसल, भारत में जो गिनती का सिस्टम है, उसमें डेढ़ और ढाई जैसे शब्द फ्रैक्शन में चीजों को बताते हैं. भारत में आज से नहीं बल्कि आदि काल से होते चला आ रहा है. चलिए अब आपको ये बताते हैं कि ये फ्रैक्शन क्या होता है. फ्रैक्शन (Fraction) किसी पूर्ण संख्या के किसी भाग या हिस्से को बताने वाली संख्या को कहते हैं. जैसे कि 3 में 2 से भाग दिया जाए तो उसे डेढ़ कहेंगे या फिर 5 को 2 से भाग दें तो उसे ढाई कहेंगे.
क्या है गणित?
भारत में गणित का ज्ञान सबसे पहले आया था. फ्रैक्शन जैसी संख्याएं भारत की ही देन है. ज्योतिष विद्या में अभी भी फ्रैक्शन के अंकों का इस्तेमाल किया जाता है इसके अलावा भारत में वजन और समय को फ्रैक्शन में नापा जाता है. डेढ़ और ढाई जैसे शब्द शुरू से ही भारत के मूल गणित के शब्द रहे हैं. इसके अलावा भारत में सवा और पौने शब्द का भी चलन है. अब जैसे मान लीजिए कि घड़ी में 3 बजकर 15 मिनट का समय हो रहा है तो लोग उसे सवा 3 बोलते हैं. क्योंकि ये बोलना काफी आसान लगता है और इसे बोलने से समय भी बचता है. तो अब आप ये समझ लीजिए कि इस तरह के शब्द के पीछे कोई रॉकेट सांइस नहीं बल्कि भारतीय मानक और प्रचलन की बात है.