मस्जिदों के ऊपर हमेशा गुंबद क्यों बनाया जाता है? जानें कहां से आया ये डिजाइन
मस्जिदों पर गुबंद इस्लामिक वास्तुकला का खास हिस्सा हैं. इनका धार्मिक महत्व भी है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये गुबंद बनाने का डिजाइन आया कहां से.
दुनियाभर की मस्जिदों पर गुंबद देखना आम बात है. यह एक ऐसा आर्किटेक्चर है जो न केवल मस्जिदों की सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मस्जिदों पर गुंबद क्यों बनाए जाते हैं? और गुबंद का ये डिजाइन आया कहां से? चलिए जानते हैं.
यह भी पढ़ें: इजरायल ने कहां लगाया है अपना आयरन डोम, जो मिसाइलों के लिए है लोहे की दीवार
क्या है गुबंद का इतिहास?
गुबंद के इतिहास पर नजर डालें तो गुंबद का इतिहास प्राचीन काल तक जाता है. मेसोपोटामिया, रोम और ईरान जैसे सभ्यताओं में गुंबदों का उपयोग इमारतों को ढकने के लिए किया जाता था. इस्लामी वास्तुकला में गुंबद को एक नया आयाम मिला. इस्लामी वास्तुकारों ने गुंबदों को और ज्यादा सुंदर बनाया. जिसके बाद गुबंदों को मस्जिदों का खास हिस्सा बना दिया गया.
यह भी पढ़ें: आखिरी बर्थडे पर किन-किन लोगों से मिले थे बापू, जिंदगी को लेकर कही थी यह बात
क्यों होते हैं मस्जिदों पर गुंबद?
मस्जिदों पर गुंबद बनाने के पीछे कई कारण हैं. जैसे गुंबद को आकाश का प्रतीक माना जाता है। यह ईश्वर की शक्ति और अनंतता का प्रतीक है. साथ ही गुबंद एकता और एकजुटता का प्रतीक है. यह सभी मुसलमानों को एक साथ लाने का संदेश देता है. इसके अलावा गुंबद आवाज को केंद्रित करने में मदद करता है. जब इमाम कुरान पढ़ते हैं तो गुंबद उनकी आवाज को पूरी मस्जिद में फैलाने में मदद करता है. साथ ही गुंबद मस्जिद को एक सुंदर और आकर्षक रूप देते हैं और ये मस्जिद को मजबूत भी बनाते हैं.
अल्लाह से क्या है संबंध?
गुंबद का मुख्य उद्देश्य मस्जिद की पहचान बनाना और उसकी सुंदरता बढ़ाना है. गुंबद की ऊंचाई और आकार इसे आसमान की ओर इंगीत करता है, जो अल्लाह के प्रति एक आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक है. गुंबद आमतौर पर एक गोलाकार या अंडाकार आकृति में होती है, जो उसके नीचे की संरचना को समर्थन देता है.
गुंबद का एक और खास उद्देश्य ये है कि यह मस्जिद की अंदरूनी जगह को ज्यादा प्रकाश और हवा प्रदान करता है. गुंबद के बीच में अक्सर एक बड़ी खिड़की होती है, जो प्राकृतिक प्रकाश को अंदर लाती है.
यह भी पढ़ें: गांधी जयंती से लेकर दशहरा और धनतेरस तक, अक्टूबर के महीने में बेहद खास हैं ये दिन