सुहागरात ही क्यों होती है, सुहागदिन क्यों नहीं, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?
शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता है, ऐसे में अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता होगा कि आख़िर इसे सुहागरात ही क्यों कहा जाता है. तो चलिेए आज आपके इसी सवाल का जवाब जानते हैं.
शादी में यूं तो कई रस्में होती हैं. जिनके अलग-अलग नाम भी होते हैं. वहीं शादी के बाद दुल्हा और दुल्हन की पहली रात को सुहागरात के नाम से जाना जाता है, लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आख़िर इसे सुहागरात ही क्यों कहा जाता है सुहागदिन क्यों नहीं और आख़िर ये नाम रखा किसने होगा. तो चलिए आज आपके इसी सवाल का जवाब जानते हैं.
क्यों शादी के बाद पहली रात होती है सुहागरात?
दरअसल शादी के दौरान निभाई जाने वाली हर रस्म के पीछे कोई न कोई वजह होती है. ऐसे में क्या आपने सोचा है कि आख़िर शादी के बाद पहली रात को सुहागरात ही क्यों कहा जाता है. तो बता दें कि इसकी पीछे भी एक वजह है. दरअसल संस्कृत के शब्द सौभाग्य से सुहाग का उद्गम हुआ है. सुहाग और सुहागन शब्द शादी से जुड़ा हुआ है.
पति के सौभाग्य को बढ़ाने के लिए सुहाग की निशानियां सुहागन को पहनाई जाती हैं. अब सुहागरात शब्द को देखें तो ये दो शब्दों से मिलकर बना है. सुहाग और रात, यही वजह है कि इस ख़ास समय को ये नाम दिया गया है. यानी शादी के बाद सुहागन की पहली रात.
कब जुड़ता है अर्धांगिनी शब्द?
जब शादी के बाद सुहागरात होती है तो उस समय मुंह दिखाई की रस्म भी होती है. ऐसे में जब घूंघट उठाकर उसका चेहरा दिखता है. हिंदू रिवाजों के हिसाब से अर्धांगिनी शब्द उसी के बाद से जुड़ता है.
बता दें कि 2013 में लॉन्जरी कंपनी ब्लूबेला ने एक सर्वे किया था. जिसमें पता चला था कि शादी की रात को 48% लोग सोते हैं. वहीं इस सर्वे में कुल 48% में से 52% महिलाओं का कहना था कि वो शादी की रात को इतना ज्यादा थकी हुई थीं कि उन्हें सोना ही बेहतर लगता है.