चिप्स के पैकेट में गैस क्यों भरी जाती है? सिर्फ पैकेट बड़ा करने के लिए नहीं... ये होता है अहम कारण
Food GK: दरअसल, छीलने के बाद जब आलू के चिप्स बना दिए जाते हैं तो खुले वातावरण में ऑक्सीकरण के कारण चिप्स में बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं। आइए जानते हैं यह गैस इन्हे खराब होने से कैसे बचाती है.
Gas In Chips Packet: पैकेट में बंद चिप्स भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला फूड प्रोडक्ट्स में से एक है. आज घर से निकलते ही आपको जो सबसे पहली शॉप मिलेगी उसपर ये चिप्स के पैकेट जरूर डिस्प्ले किए हुए मिलेंगे. अक्सर आपने लोगों को यह कहते सुना होगा कि चिप्स के पैकेट में चिप्स से ज्यादा तो हवा भरी होती है.
सवाल यह है कि चिप्स के पैकेट में हवा कम हो या ज्यादा...आखिर यह भरी ही क्यों भरी जाती है? क्या आप जानते है कि यह कौन सी गैस होती है? क्या यह केवल बिक्री बढ़ाने के लिए किया जाता है या फिर पैकेट अच्छा दिखे इसलिए किया जाता है? या फिर इसके पीछे कोई दूसरा जरूरी कारण भी है? आइए समझते हैं
इसलिए भरी जाती है चिप्स के पैकेट में गैस
बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि बिक्री बढ़ाने के लिए और पैकेट को आकर्षक बनाने के लिए चिप्स के पैकेट में हवा भरी जाती है. आप शायद नही जानते, लेकिन पैकेट में हवा भरना, हवा से भरे हुए पैकेट को स्टोर करना और उसका ट्रांसपोर्टेशन कंपनी को काफी महंगा पड़ता है. इस सब की वजह से चिप्स के पैकेट की कीमत भी बढ़ जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके बाद भी ऐसा किया जाता है. दरअसल, चिप्स के पैकेट के अंदर वातावरण में मौजूद सामान्य हवा या फिर ऑक्सीजन नहीं होती, बल्कि इसमें एक विशेष प्रकार की गैस भरी जाती है, जिसका नाम है नाइट्रोजन गैस.
गैस भरने के फायदे
चिप्स आलू से बनते हैं. दरअसल, छीलने के बाद जब इनके चिप्स बना दिए जाते हैं तो खुले वातावरण में ऑक्सीकरण के कारण चिप्स में बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं. बैक्टीरिया वाला चिप्स स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक भी हो सकता है. इसलिए चिप्स को खराब होने से बचाने के लिए इसके पैकेट में नाइट्रोजन गैस भरी जाती है. नाइट्रोजन प्रमाणित रूप से अक्रियाशील गैस है. इसीलिए पैकेट के अंदर किसी भी प्रकार की रासायनिक क्रिया नहीं होती है. इस तरह चिप्स ज्यादा समय तक स्वादिष्ट और बैक्टीरिया फ्री रह सकते हैं.
विकृतगंधिता भी रोकती है गैस
ऐसे पदार्थ जिनमें तेल और वसा होता है, वो उपचयित् होने पर विकृतगंधित हो जाते हैं. उनका उनका स्वाद और गंध दोनों बदल जाते हैं. इस प्रक्रिया को विकृतगंधिता कहते हैं. इस चिप्स के पैकेट में ऑक्सीजन गैस हटाकर उसके स्थान पर नाइट्रोजन गैस भर दी जाती है. नाइट्रोजन गैस कम सक्रिय होती है और यह के पैकेट के अंदर की नमी को अवशोषित करके चिप्स को खराब होने से बचा लेती है.
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