क्लाइमेट चेंज की वजह से दुनिया में भूमिगत जल तेजी से खत्म हो रहे हैं. खासतौर से मीठा पानी. ये इंसानों के जीवन के लिए सबसे जरूरी है. अगर धरती से मीठा पानी खत्म हो गया तो इंसानों और जानवरों का वजूद खत्म होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. ऐसे में जर्मनी अब एक ऐसे विकल्प पर काम कर रहा है जो भारत में सदियों पहले से मौजूद है.


जर्मनी क्यों बना रहा है बड़े-बड़े कुएं


जर्मनी की राजधानी बर्लिन एक ऐसी जगह पर मौजूद है जहां सूखे की स्थिति हमेशा बनी रहती है. हर साल गर्मियों में यहां के लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ता है. ऐसे में अब बर्लिन के प्रशासन ने शहर में बड़े-बड़े कुओं का निर्माण शुरू कर दिया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा कर के बर्लिन ना सिर्फ बारिश के पानी से अपने भूमिगत जल का स्तर बढ़ाएगा. बल्कि बारिश के पानी और नाले में बहने वाली गंदगी से नदी को भी सुरक्षित रखेंगें.


अलग तरह के हैं कुएं


ये कुएं आम भारतीय कुओं की तरह नहीं हैं. बल्कि ये किसी टैंक की तरह हैं. इसमें ना सिर्फ पानी रुकता है, बल्कि उसका ट्रीटमेंट कर उसे इस्तेमाल लायक भी बनाया जाता है. जर्मनी का सबसे बड़ा बेसिन इस शहर में 2026 तर बन कर तैयार हो जाएगा. इस बेसिन में 17,000 क्यूबिक मीटर पानी इकट्ठा किया जा सकेगा.


भारत के लिए कितना मददगार


हर साल जब भारी बारिश होती है तब कई शहरों में बाढ़ जैसी स्थिति हो जाती है. जबकि, यही शहर गर्मी में पानी की कमी से जूझते हैं. ऐसे में अगर इन बड़े शहरों में इस तरह के कुएं बना दिए जाएं जो बारिश के पानी को ना सिर्फ स्टोर करें बल्कि वहां का जलस्तर भी बढ़ा दें, तो गर्मियों में बड़े शहरों के लोगों को पानी की दिक्कत से नहीं जूझना पड़ेगा. इसके अलावा शहर का गंदा पानी भी इन्हीं बेसिन में इकट्ठा होगा और नदियों को प्रदूषित नहीं कर पाएगा. अगर भारत सरकार भविष्य में कुछ ऐसा करती है तो इससे आने वाली पीढ़ियों को सदियों तक फायदा पहुंच सकता है.


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