दिल्ली में सर्दी का दौर शुरू हो गया है, अब सूरज ढलने के बाद आप बिना मोटे कपडों के बाहर नहीं निकल सकते. ऐसे भी दिल्ली में सर्दी और गर्मी जब पड़ती है तो अपने चरम पर पहुंच जाती है. अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है. दिल्ली के साथ ऐसा क्यों है कि यहां सर्दी हो या गर्मी दोनों ही जोरदार पड़ती है. चलिए आज आपको इसके पीछे की साइंस समझाते हैं.


दिल्ली में ज्यादा सर्दी पड़ने का कारण


दिल्ली में नवंबर के अंत तक मौसम ठीक होता है, लेकिन दिसंबर का पहला हफ्ता बीतते ही मौसम अचानक से बदल जाता है. यहां इतनी सर्दी पड़ने लगती है कि हाथ पैर फूल जाते हैं. कई जगह तो बाहर पड़ा पानी भी जम जाता है. अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है. इसके पीछे कौन सी साइंस काम करती है.


एक्सपर्ट मानते हैं कि ऐसा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाली हवाओं के कारण होता है. दरअसल, यहां से आने वाली हवाएं काफी सर्द होती हैं और जैसे ही दिसंबर में ये दिल्ली में पहुंचती हैं पूरे एनसीआर का माहौल ठंडा कर देती हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि यही हवाएं उत्तर और उत्तर पश्चिम के इलाकों में बारिश के लिए भी जिम्मेदार होती हैं. इसके अलावा दिल्ली का पहाड़ी इलाकों के पास होना भी सर्दी का एक कारण है. दरअसल, यहां से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख जैसी जगहें नजदीक हैं.


यहां गर्मी पड़ने की वजह


दिल्ली में सर्दी के साथ-साथ गर्मी भी चरम पर पड़ती है. यहां गर्मी इतनी पड़ती है कि अगर आप मई जून के महीने में थोड़ी देर बाहर खड़े हो जाएं और सूरज की रौशनी आपके शरीर पर सीधी पड़ती रहे तो वहां कि स्किन झुलस जाने का खतरा रहता है. वहीं independent.co.uk की एक रिपोर्ट दावा करती है कि मॉनसून का अर्थ सिर्फ बारिश से ही नहीं है. हवाओं की दिशा में परिवर्तन भी मॉनसून ही होता है. सबसे बड़ी बात कि इससे सिर्फ बारिश ही नहीं होती, बल्कि तापमान पर भी काफी प्रभाव पड़ता है. यही वजह है कि गर्मी में गर्म हवाएं चलती हैं और इसकी वजह से राजधानी में भीषड़ गर्मी पड़ने लगती है. इसके अलावा दिल्ली शहर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है इसलिए ये ह्यूमिड सबट्रोपिकल रीजन में आता है. वहीं राजस्थान के रेतीलों इलाकों से आने वाली गर्म हवाएं भी दिल्ली में गर्मी बढ़ाने का एक कारण हैं.


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