आज पूरे देश में कारगिल विजय दिवस की 25 वी वर्षगांठ मनाई जा रही है. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कारगिल पहुंचे हैं. कारगिल विजय दिवस 1999 में कारगिल युद्ध में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लद्दाख के कारगिल जिले को आगा की धरती क्यों कहा जाता है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 


कारगिल शहर 


कारगिल विजय दिवस की 25 वी वर्षगांठ पूरे देश में धूमधाम से बनाया जा रहा है. आज ही के दिन भारतीय सेना ने कारगिल की पहाड़ियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर खदेड़ा था और कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराया था. बता दें कि लद्दाख अब एक केंद्रशासित प्रदेश है. लद्दाख में दो जिले आते हैं. पहला लेह और दूसरा जिला कारगिल है. कारगिल को पूरी दुनिया 1999 कारगिल युद्ध के कारण भी जानती है. दरअसल कारगिल वीरों की धरती हैं, जहां पर भारतीय सेना के जवानों ने अपनी जान की परवाह किये बिना पाकिस्तानी घुसपैठियों का सामना किया था और मार गिराया था. 


क्यों कहते हैं आगा की धरती


कारगिल में इस्लाम धर्म का आगमन 15वीं शताब्दी में हुआ था. मध्य एशिया के शिया स्कूल के विद्वान मीर शम्स-उद-दीन इराकी ने इस्लाम का प्रचार करने के लिए अपने मिशनरियों के साथ बाल्टिस्तान और कारगिल का दौरा किया था. माना जाता है कि बाल्टिस्तान के प्रमुख ने पहले इस्लाम अपनाया और फिर उसके बाद कारगिल के प्रमुखों ने इस्लाम को स्वीकार कर लिया था. मीर शम्स-उद-दीन से पहले इराकी ख्वाजा नूरबख्श ने कारगिल का दौरा किया और बहुत सारे इस्लामी उपदेश दिए थे. कारगिल में ज़्यादातर शिया मुसलमान रहते हैं और आगा धार्मिक प्रमुख और उपदेशक को कहा जाता है. यही कारण है कि कारगिल को आगा की धरती कहा जाता है. 


बता दें कि 2011 की जनसंख्या गणना के मुताबिक कारगिल की आबादी 1,40,802 है. वहीं कारगिल मुस्लिम बाहुल्य इलाका है, यानी यहां पर मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक कारगिल में मुसलमानों की आबादी 76.87 फीसदी है. वहीं कारगिल में हिंदूओं की आबादी 7.34 फीसदी है. इसके अलावा बौद्ध धर्म के लोग 14.29 फीसदी, ईसाई धर्म के लोग 0.43 फीसदी रहते हैं. सिख धर्म के लोग 0.83, जैन 0.02 फीसदी रहते हैं. वहीं 1979 में लद्दाख क्षेत्र में कारगिल एक अलग जिला बन गया था. इसे पूर्ववर्ती लेह जिले से अलग किया गया था.


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