आप चाहे शराब (Alcohal) पीते हों या फिर ना पीते हों, लेकिन इतना तो आपको भी पता होगा कि भारत में शराब जब लोग खरीदने जाते हैं तो उसे लीटर में नहीं बल्कि अद्धा, पौआ और खंभा बोलकर खरीदते हैं. लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है. इसके पीछे का रीजन क्या है. अगर आप सोचते होंगे क्वांटिटी की वजह से ऐसा होता है तो आप बिल्कुल गलत हैं. क्योंकि भारत में पौआ को 250 एमएल माना जाता है, लेकिन शराब को अगर आप पौआ में खरीदने जाएंगे तो उसमें आपको महज 180ml शराब ही मिलेगा. तो चलिए जानते हैं कि आखिर यह शब्द कहां से आए और इन्हें शराब के लिए इस तरह से क्यों इस्तेमाल किया गया.


कहां से आये यह शब्द


अद्धा, पौआ और खंभा से पहले जान लीजिए कि आखिर यह पेग शब्द कहां से आया. दरअसल, डेनमार्क में शराब को मापने की जो इकाई है उसे पाइगल Paegl कहते हैं और यहीं से पैग शब्द की उत्पत्ति हुई. 1 पेग में इंटरनेशनल यूनिट के हिसाब से लगभग 30ml के करीब शराब होती है. अब आते हैं उन तीन शब्दों पर जिन पर पूरी स्टोरी टिकी है. आपको बता दें जिसे भारत में लोग खंभा कहते हैं उसमें 750ml शराब आती है. जिसे अद्धा कहा जाता है उसमें 375ml शराब आती है.


जबकि पौआ में 180ml शराब आती है. यानी यह बात तो पूरी तरह से साफ है कि क्वांटिटी के हिसाब से यह नाम तय नहीं किए गए हैं. क्योंकि अगर ऐसा होता तो यह आंकड़े 1000ml, 500ml और 250ml होते. इंटरनेट पर ढूंढने के बाद जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक यह तीनों नाम किसी खास वजह से नहीं बल्कि आम बोलचाल की भाषा में ऐसे ही रख दिए गए. पहले इन्हें किसी एक जगह पर इस तरह से बुलाया गया और धीरे-धीरे यह पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए.


भारत में सबसे ज्यादा कौन सी शराब पी जाती है


पिछले साल जो आंकड़े जारी किए गए थे उसके मुताबिक, भारत में Scotch Whisky की कुल 219 मिलियन बोतलों की खपत हुई. जबकि साल 2021 में भारत में कुल Scotch Whisky की 136 बोतलों की खपत हुई. पूरी दुनिया से एक्सपोर्ट होने वाले Scotch Whisky के मामले में भारत टॉप पर है.


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