दुनियाभर में खाने-पीने के शौकीन बहुत लोग हैं. आपने अक्सर लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि आखिर कमाते भी तो खाने के लिए हैं. इतना ही नहीं टेस्टी फूड के लिए लोग सैकड़ों-हजारों किलोमीटर का सफर भी तय कर लेते हैं. लेकिन जंक फूड डे के दिन हम आपको बताएंगे कि क्या सच में जंक फूड सेहत के लिए हानिकारक होता है. 


जंक फूड डे


आज यानी 21 जुलाई के दिन हर साल नेशनल जंक फूड डे मनाया जाता है. आपने अक्सर कई लोगों से सुना होगा कि जंक फूड खाने से बीमार पड़ सकते हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग अपने हेल्थ की बहुत केयर करते हैं और वो बिल्कुल भी जंक फूड नहीं खाते हैं. क्योंकि बीमार पड़ने के साथ अधिकांश लोगों का मानना है कि बाहर का खाने से मोटे हो जाएंगे, और शरीर में चर्बी जमा हो जाएगी. जिससे बीपी और शुगर जैसी कई तरह की बीमारियों का खतरा हो बढ़ सकता है. 


क्यों मनाया जाता जंक फूड डे


भारत के बड़े शहरों और कस्बों में लोग सबसे ज्यादा जंक फूड का सेवन करते हैं. फूड डिलीवरी ऐप के आने से बाहरी खानों ने घर के कीचन अपनी जगह बना ली है. हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक घर पर खाना बनाना बेहतर है. बाहर का खाने के कारण भारत में हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लेकिन बहुत लोग ऐसे भी हैं, जो पूरे सालभर में कभी भी जंक फूड नहीं खाते हैं. जंक फूड डे उन्हीं लोगों के लिए है, जिससे वो एक दिन बिना चिंता के स्वादिष्ट फूड को चख सके. वहीं जो लोग अधिक बाहर का खाते हैं, वो भी इससे होने वाले नुकसान को समझ सके.


जंक फूड का बाजार


दुनियाभर में जंक फूड का बाजार बहुत बड़ा है. भारत के हर शहर और गांव में आपको सड़क किनारे जंक फूड बिकता दिख जाएगा. इसके अलावा विदेशी जंक फूड ने भी भारत के घरों में अपना पैर पसार लिया है. अधिकांश घरों में अब पिज्जा, बर्गर, सैंडविच, कुकीज, चिप्स, कप केक, कैंडी आते है. हालांकि ये सेहत के लिए हानिकारक होता है, इसलिए सभी को जंक फूड पर नियंत्रण रखने की जरूरत है. आज भारत समेत दुनियाभर में जंग फूड बहुत आसानी से लोगों को मिल जाता है, इससे खाना बनाने की मेहनत बचती है. घरों में अक्सर अब लोग बाहर के जंग फूड मंगवाते हैं. 


राष्ट्रीय जंक फूड दिवस का इतिहास


जो लोग बिल्कुल जंक फूड नहीं खाते हैं, वो अगर एक दिन खाएंगे तो उन्हें कोई खास समस्या नहीं होगी. इसीलिए दुनिया के देशों ने इस दिन को प्राथमिकता दी है. जानकारी के मुताबिक यह जंक फूड द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुआ थास उस समय लोगों को अलग-अलग देशों में पलायन करना पड़ता था. ऐसे में लोग अपने साथ रखा खाना ले जाते थे. हालांकि 1970 के दशक में  इस भोजन को एक बुरा नाम मिला था. माइक्रोबायोलॉजिस्ट माइकल जैकबसन ने जंक फूड शब्द गढ़ा था, यानी जंक का अर्थ कबाड़ होता है. उन्होंने प्रचार किया था कि जंक फूड शरीर के लिए सबसे खराब खाना होता है.


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