पश्चिमी सभ्यता में लाल रंग को प्रेम के रंग के तौर पर देखा जाता है. यही वजह है कि वैलेंटाइन डे यानी प्यार के दिन कपल लाल और काले रंग के कपड़े में नजर आते हैं. यहां तक कि दुनियाभर में लाल गुलाब को प्यार का प्रतीक माना जाता है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि लाल रंग सिर्फ प्यार का ही प्रतीक है. इसे खतरे के रंग के तौर पर भी जाना जाता है. चलिए जानते हैं कि आखिर लाल रंग को खतरे के रंग के तौर पर कैसे और क्यों पहचाना गया.


लाल रंग चुनने के पीछे का विज्ञान


लाल रंग को खतरे के निशान के तौर पर चुनने के पीछे एक विज्ञान है. दरअसल, लाल रंग के अंदर मौजूद गुणों की वजह से ये हमें दूर से ही नजर आ जाता है. विज्ञान की भाषा में कहें तो लाल रंग में हवा के अणुओं द्वारा सबसे कम प्रकीर्णन होता है, इसकी वजह से ये रंग हमें काफी दूर से ही दिखाई दे जाता है. 


इसके अलावा लाल रंग में तरंगदैर्घ्य अन्य रंगों के मुकाबले सबसे ज्यादा होती है. इस वजह से कोहरा हो या बरसात लाल रंग हमेशा हमें दूर से ही दिखाई दे जाता है. यही वजह है कि लाल रंग को खतरे के निशान के तौर पर चुना गया, ताकि लोगों को खतरे के बारे में दूर से ही पता चल जाए.


लाल रंग का इस्तेमाल सबसे पहले कब हुआ


लाल रंग के उपयोग को लेकर सबसे प्राचीन प्रमाण हजारों साल पहले के हैं, माना जाता है कि उस दौर के इंसानों ने लाल रंग का उपयोग पेंटिंग्स बनाने में किया. आज भी गुफाओं में ऐसे कई चित्र मिलते हैं जो हजारों साल पहले बनाए गए थे. इन चित्रों में आप जानवरों और शिकार करते लोगों को देख सकते हैं. इसके अलावा कई और तरह की आकृतियों को भी इन तस्वीरों में प्राचीनकाल के इंसानों द्वारा दर्शाया गया है.


इतिहास में, लाल रंग का महत्व केवल कलात्मकता तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसे शक्ति, प्रेम, और उत्साह का प्रतीक भी माना जाता था. जैसे- मिस्र की प्राचीन सभ्यता में लाल रंग का उपयोग धार्मिक समारोहों में किया जाता था. वहीं भारत में इसे शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना गया. इसके अलावा चीन में, लाल रंग का उपयोग भाग्य और खुशी के प्रतीक के रूप में होता है.


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