Why is the color of brick is red: महंगाई के इस दौर में हर इंसान चाहता है कि उसका अपना खुद का एक घर हो. इसके लिए लोग जीवनभर मेहनत करके पैसा जमा भी करते हैं. ताकि एक समय पर अपने सपनों का घर बना पाएं. घर बनाने के लिए कई जरूरी चीजों की जरूरत होती है, जैसे सीमेंट, लकड़ी, लोहा और ईंट आदि. इसमें सबसे जरूरी चीज ईंट होती है. ईंट से ही बड़ी-बड़ी इमारतें बनकर खड़ी होती हैं. आपने देखा होगा कि ईंट लाल रंग की होती है. लेकिन, क्या कभी आपने ये सोचा है कि आखिर ईंट का रंग लाल ही क्यों होता है? ये किसी अन्य रंग जैसे नीली, पीली या हरे रंग की क्यों नहीं बनाई जाती हैं? क्या इसमें कोई रंग मिलाया जाता है? आइए बताते हैं ईंट के इस रंग के पीछे की वजह...


ये तत्व होते हैं ईंट में


ईंट को बनाने के लिए चिकनी पीली मिट्टी का इस्तेमाल होता है. ईंट बनाने वाली मिट्टी में 50 से 70 प्रतिशत रेत होता है. इसके अलावा इसमें 20-30 प्रतिशत एलुमिना, 2 से 5 प्रतिशत लाइम, 1 प्रतिशत मैग्नीशियम और 7 प्रतिशत लोहा होता है. इस मिट्टी को ईंट बनाने के सांचे में डालकर ईंट की आकृति दी जाती है. इसके इसे कुछ दिन धूप में सूखने के बाद मजबूती देने के लिए काफी समय तक ऊंचे तापमान (लगभग 875 से 900 डिग्री सेल्सियस) पर भट्टी में पकाया जाता है. 


इसलिए होता है ईंट का रंग लाल


इतने ऊंचे तापमान पर लोहा और अन्य धातुएं रिएक्शन कर जाती हैं. लोहा और अन्य धातुओं के ऑक्साइड अलुमिनिया सिलिका के साथ मिलकर आयरन ऑक्साइड का निर्माण करते हैं और यही आयरन ऑक्साइड ईंट के लाल रंग देता है.


पकने के बाद बदल जाता है ईंट का साइज


आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि मिट्टी से जो ईंट सांचे की मदद से बनाई जाती है, भट्ठी में पकने के बाद वो कच्ची ईंट के मुकाबले करीब 10 फीसदी छोटी हो जाती है. यानी भट्टी में ऊष्मा पाकर ये ईंटें सिकुड़ जाती हैं. इतना ही नहीं, भट्ठी में पकने के बाद ये ईंटें काफी ठोस हो जाती हैं. इतनी ठोस कि फिर इन पकी हुई ईंटों का इस्तेमाल घरों और बिल्डिंग बनाने में किया जाता है. भट्टी में पकी हुई ये ईंटें इतनी ज्यादा मजबूत होती है कि घरों में लगने के बाद वो सदियों तक इनको मजबूत और सुरक्षित रखती हैं.


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