सर्दियों के मौसम में पहाड़ों पर बर्फबारी का नजारा देखने कई सैलानी जाते हैं. कई लोगों को ये बर्फबारी काफी पसंद आती है, जहां हर ओर सफेदी की चादर बिछी नजर आती है. ये सफेद बर्फ पसंद सभी को आती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बर्फ का रंग सफेद ही क्यों होता है और इसके पीछे की कहानी क्या है?


क्यों होता है बर्फ का रंग सफेद?
ये सवाल कई लोगों के मन में आता होगा कि रंगहीन पानी से जमी बर्फ का रंग सफेद कैसे हो जाता है. तो बता दें कि कुदरत की बनाई किसी भी चीज में सोखने की शक्ति होती है, फिर चाहे वो कोई पदार्थ हो या धातु. इसे ऐसे समझते हैं कि जब कोई व्यक्ति कुछ समय तक धूप में रहता है तो उसके चेहरे का रंग लाल हो जाता है. इसी तरह जिस वस्तु पर जैसी रोशनी पड़ती है वो हमें वैसी ही दिखती है.


इसी तरह आसमान से जब बर्फ गिरती है तब वो रंगहीन होती है, लेकिन जब उसमें सूर्य का रिफलेक्शन पड़ता है तो वो सफेद रंग की दिखाई देने लगती है.


क्यों होती है बर्फबारी?
यदि अब आप ये सवाल करने वाले हैं कि बर्फबारी होती क्यों है तो बता दें कि वॉटर साइकल के दौरान सूरज की गर्मी के कारण समुद्र, झीलों, तालाबों, नदियों में मौजूद जल लगातार इवेपोरेट होता रहता है यानी उसका वाष्पिकरण होता है. जो बाद में भाप में बदल जाता है. यही वॉटर पेपर्स हवा से हल्का होने के कारण आसमान की ओर उड़ने लगते हैं और ऊपर वायुमंडल में पहुंच जाते हैं. जो इकट्ठे होकर बादल का रूप ले लेते हैं. 


वहीं कई बार ऐसा होता है कि ये बादल वायुमंडल में ज्यादा ऊपर पहुंच जाते हैं और वहां का टेमप्रेचर बहुत कम होता है, साफ अर्थो में कहें तो वायुमंडल बहुत ठंडा होता है. जिसके चलते बादलों में मौजूद वॉटर पेपर्स छोटे-छोटे स्नो फ्लैक्स में बदल जाते हैं. हवा इन स्नो फ्लैक्स का वजन सहन नहीं कर पाती और ये बर्फ के रूप में नीचे की ओर गिरने लगते हैं. इसी के चलते स्नोफॉल या बर्फबारी देखने को मिलती है.