साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक... आपने जब भी टायरों को देखा होगा उनका रंग हमेशा काला ही दिखा होगा. आज अगर आप किसी से टायर कहें तो उसके दिमाग में काले रंग का ही टायर छपता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है? टायरों को काले रंग का ही क्यों बनाया जाता है, उन्हें लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी क्यों नहीं बनाया जाता. आज हम आपको उसके पीछे की वजह बताएंगे और यह भी बताएंगे कि क्या टायर हमेशा से काले ही रहे हैं. क्या उन्हें दुनिया में कभी भी किसी और रंग का नहीं बनाया गया.


रंग से पहले इतिहास समझिए


टायरों के काले रंग के बारे में जानने से पहले आप टायरों का इतिहास समझिए. इसका इतिहास शुरू होता है सन 1800 से. यह वही दौर था जब व्हीलराइट नाम के कारीगर ने सबसे पहले रबड़ के टायरों का आविष्कार किया. इसके बाद चार्ल्स मैंकतोष ने टायरों को बनाने के लिए अमेजन और दूसरी जगहों पर कुछ खास पेड़ों से निकलने वाले द्रव्य... जिसे नेचुरल रबर कहा जाता है उसका इस्तेमाल किया. लेकिन यह सभी टायर मार्केट में सक्सेसफुल नहीं हो पाए. बाद में 1839 में कहीं जाकर चार्ल्स गुडईयर ने वूलकैनाइज्ड रबर का आविष्कार किया, जिससे एक सक्सेसफुल टायर बनाया जा सका.


टायर शब्द कहां से आया


टायर शब्द फ्रेंच के शब्द टायरर से बना है. जिसका मतलब होता है खींचने वाला. आज जिन टायरों को आप देख रहे हैं उनसे पहले मानव ने चमड़े के, लोहे के और लकड़ी के टायर अपने अपने समय में बनाए थे. जिस तरह से दुनिया तेजी से बदल रही है और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को लोग अपना रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब टायर रबर की बजाय किसी और मटेरियल से बनने लगेंगे.


पहले सफेद रंग का था टायर


आज से 126 साल पहले जब टायरों का पहली बार प्रोडक्शन हुआ तो उनका रंग सफेद था. क्योंकि जिस रबड़ से इन्हें बनाया गया था वह बिल्कुल दूधिया सफेद रंग का था. हालांकि, यह मटेरियल बहुत कमजोर था और गाड़ियों का भार सही से नहीं उठा सकता था. इसीलिए बाद में इसे मजबूत बनाने के लिए इसमें कार्बन ब्लैक मिलाना पड़ा जिसकी वजह से इसका रंग काला हो गया. हालांकि, इससे टायर बेहद ताकतवर और मजबूत भी बन गए, जिनका आज हर जगह इस्तेमाल किया जाता है.


ये भी पढ़ें: Diamond Crossing: देश की वो जगह जहां चारों दिशाओं से आती हैं Train