लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान 19 अप्रैल से शुरू हो जाएगा. चुनाव आयोग ने इसके लिए लगभग तैयारियां पूरी कर ली हैं. खासतौर से वोटिंग के बाद ईवीएम को रखने के लिए स्ट्रॉन्ग रूम भी तैयार किए जा चुके हैं. चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर ये स्ट्रॉन्ग रूम होता क्या है और उसे कैसे तैयार किया जाता है. इसके साथ ही आपको बताते हैं कि आखिर जहां ईवीएम रखा जाता है उसे स्ट्रॉन्ग रूम ही क्यों कहते हैं.


क्या होता है स्ट्रॉन्ग रूम?


मतदान के बाद ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को जहां सुरक्षित रखा जाता है उसे स्ट्रॉन्ग रूम कहा जाता है. इसे स्ट्रॉन्ग रूम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि एक बार मशीन अंदर जाने के बाद इस कमरे में परिंदा भी पर नहीं मार सकता. इस कमरे में सुरक्षा कर्मियों के अलावा दोबारा किसी की एंट्री तभी होती है जब वोटों की गिनती के लिए इन मशीनों को निकाला जाता है.


क्या कहीं भी बनाया जा सकता है स्ट्रॉन्ग रूम?


अगर आपको लगता है कि स्ट्रॉन्ग रूम किसी भी बिल्डिंग में बनाया जा सकता है तो आप गलत है. दरअसल, स्ट्रॉन्ग रूम को सिर्फ किसी सरकारी बिल्डिंग में ही बनाया जा सकता है. जिस सरकारी बिल्डिंग में स्ट्रॉन्ग रूम बनाया जाना होता है, उसका चयन पहले से ही कर लिया जाता है और फिर उसकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम कर लिया जाता है. इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि स्ट्रॉन्ग रूम किसी पुलिस स्टेशन में भी नहीं बनाया जा सकता. इसके अलावा स्ट्रॉन्ड रूम का चयन करने के लिए कई और नियमों का पालन किया जाता है, जिनका विवरण आपको चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर मिल जाएगा.


स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा कैसे होती है?


स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स को लगाया जाता है. दरअसल, सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर की सुरक्षा करती है. वहीं इस कमरे के बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सुरक्षा बलों की होती है. ये हथियारों से लैस कमांडो की तरह होते हैं. वहीं तीसरा खेरा स्थानीय पुलिस बलों का होता है. पुलिस वालों को बिल्डिंग के आस-पास तैनात किया जाता है. यानी स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा इतनी चौकस होती है कि इसे भेद कर कमरे में घुसना लगभग नामुमकिन है.


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