क्यों रुपयेे के अंदर होता है खास धागा, जानिए किससे बनी होती है नोट की स्ट्रिप?
Currency Note: आपने अक्सर रुपयों के अंदर एक खास धागा लगा देखा होगा, लेकिन इसे लगाया क्यों जाता हैै और इसका महत्व क्या हैै क्या आप इसकेे बारे में जानते हैं.
अमूूमन हर रोज इस्तेेमाल किए जाने वाले रुपयों की बनावट पर हम कम ही गौर करते हैं. हालांकि उनपर लगी स्ट्रिप यानी धागा साफ नजर आता है. रुपये भारतीय हों या डॉलर हर नोट में ये धागा जरूर नजर आता हैै, कहा जाता है कि ये नोट की असल पहचान के बारे में बताता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये धागा कागज के अंदर डाला क्यों जाता है. यदि नहीं तो चलिए आज हम बताते हैं.
क्यों नोट के अंदर डाला जाता है धागा?
नोट के अंदर मैैटेलिक धागा लगा होता है. जिसे खास तरीके से नोट के अंदर डाला जाता है. इस का चलन सुरक्षा मानकों के तौर पर शुरू हुआ था. यदि आप देखें तो 500 और 2000 रुपए के नोट के अंदर जो चमकीला मैटेलिक धागा लगा होता है, उस पर कोड भी उभरे होते हैं यानि वो नोट के सुरक्षा मानकों को और मजबूत करता है.
कहां से आया नोट के बीच धागा लगाने का आइडिया?
आप सोच रहे होंगे कि आखिर नोट के बीच धागा लगाने का आइडिया कहां से आया. तो बता दें कि नोट के बीच में मैटेलिक धागा लगाने का आइडिया 1948 में इंग्लैंड में आया था. इसका पैटेंट भी करा लिया गया. हालांकि इसे अमल में इसके 100 साल बाद ही लाया जा सका. ऐसे में कहा जा सकता है कि नोटों के बीच 75 साल पहले ही धागा लगाना शुरू किया गया था. जिसकी शुरूआत सुरक्षा मानकों के चलते हुई थी. भारत में इस सुरक्षा फिचर्स का इस्तेमाल काफी समय बाद शुरू किया गया था.
कहां से आती है ये स्ट्रिप?
आमतौर पर दुनिया की कुछ ही कंपनियां इस तरह की मैटेलिक स्ट्रिप तैयार करती हैै. माना जाता है भारत में नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाली ये मैटेलिक स्ट्रिप बाहर से मंगाई जाती है. इस मैटेलिक स्ट्रिप को खास तकनीक के जरिए नोटों के अंदर डाला जाता है. आप जब इन नोटों को रोशनी में देखें तो ये स्ट्रिप चमकती हुई नजर आएगी. जो नोट की असली पहचान होती हैै.
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