Lawyers Black Coat:आपने देखा होगा कि वकील काला कोट पहनकर ही जिरह करते हैं. न सिर्फ जिरह बल्कि अपने कार्यालयों में भी वह काला कोट पहनकर ही बैठते हैं. आखिर वकील यही रगं क्यों पहनते हैं और इसका चलन कब से शुरू हुआ? अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इसके बार में बताएंगे-


ये है काला कोट पहनने का कारण-


वकीलों के द्वारा काला कोट पहनने के पीछे कई कारण हैं. इसके अलावा इसे ऐतिहासिक घटनाओं से भी जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि 1694 ई. में क्वीन मैरी की चेचक की वजह से हुई मौत के बाद राजा विलियम्सन ने यह आदेश था कि क्वीन के निधन का शोक मनाने के लिए सभी जज और वकालत करने वाले वकील काले रंग के गाउन पहनें. हालांकि वकीलों के काले रंग की ड्रेस का प्रस्ताव 1637 में ही रखा जा चुका था. जिसका कारण आम लोगों से उन्हें अलग दिखाना था.


एक दूसरे संदर्भ के अनुसार इंग्लैंड के किंग चार्ल्स द्वितीय के निधन पर भी वकील और जज को काले कपड़े पहनने के लिए आदेश दिया गया था. काला कोट पहनने के पीछे इस बात का भी तर्क दिया जाता है कि यह जल्दी गंदा नहीं होता. चूंकि उन्हें ड्रेस कोड में रहना है तो ऐसे रंग को चुना गया जिसे रोज पहनकर कोर्ट जाया जा सके.


भारत में काला कोट पहनने का चलन-


हालांकि अग्रेजी हुकूमत के समय जज और वकील काला गाउन और सूट पहनते थे लेकिन आजाद भारत में इस व्यवस्था को 1965 में अनिवार्य कर दिया गया. चाहे स्कूली जीवन हो,ऑफिस हो या कोर्ट हर जगह ड्रेस कोड का एक खास कारण अनुशासन होता है. काले कोट को अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है. वकीलों के द्वारा काले कोट सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों में पहना जाता है. 


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