लाल रंग हमेशा से खतरे के संकेत के रूप में देखा गया है. यहां तक कि ट्रैफिक लाइट में भी रुकने के लिए लाल रंग का प्रयोग किया गया. लेकिन ऐसा क्यों किया गया और पहली बार ऐसा कब तय हुआ कि लाल रंग को ही खतरे के सूचक या संकेत के तौर पर प्रयोग किया जाएगा. इससे भी बड़ा सवाल की ऐसा करने के पीछे की साइंस क्या है. क्या इसकी जगह किसी और रंग का प्रोयग नहीं किया जा सकता था. चलिए आज इस आर्टिकल में आपके इन्हीं सवालों का जवाब जानते हैं.
खतरे के निशान के तौर पर क्यों किया गया लाल रंग का प्रयोग
खतरे के निशान के तौर पर लाल रंग का प्रयोग करने के पीछे एक खास तरह की साइंस काम करती है. दरअसल, लाल रंग को लेकर कहा जाता है कि इसमें हवा के अणुओं द्वारा सबसे कम प्रकीर्णन होता है, जिसकी वजह से ये रंग काफी दूर से भी दिखाई देता है. इसके साथ ही इस रंग में तरंगदैर्घ्य अन्य रंगों के मुकाबले सबसे ज्यादा होती है. यही वजह है कि कोहरा हो या बरसात लाल रंग हमें दूर से ही दिखाई दे जाता है. आपने देखा होगा जब कोई बिल्डिंग या टावर बहुत ऊंचा बनाया जाता है तो उसके सबसे ऊपरी हिस्से पर एक लाल रंग की लाइट लगा दी जाती है, ताकि हवाई जहाजों को उस बिल्डिंग की ऊंचाई का संकेत मिल सके और कोई दुर्घटना ना हो.
लाल रंग का इतिहास क्या है
हंटर लैब में छपी एक खबर के मुताबिक, लाल रंग का इतिहास लगभग 40 हजार साल पुराना है. लाल रंग का उपयोग पहले शिकारी और कलाकार दीवारों पर पेंटिंग के लिए करते हैं. यही वजह है कि गुफाओं की दीवारों पर सदियों पुरानी जो पेंटिंग्स मिली हैं उन्हें लाल रंग से बनाया गया है. कहा जाता है कि पेलोथेटिक लोग अपने यहां मरने वाले परिजनों के शवों को लाल रंग के पाउडर से पेंट कर देते थे. वो ऐसा उनकी आत्मा को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए करते थे.
लाल रंग के और भी कई प्रकार हैं
लाल रंग सिर्फ खतरे के निशानी के तौर पर ही नहीं देखा जाता है. पश्चिमी सभ्यता में इसे प्रेम के रंग के तौर पर जाना जाता है. वहीं एशियन कल्चर में इस रंग को भाग्य और खुशी के तौर पर जाना जाता है. आपको ध्यान होगा कि जब भारत में शादियां होती हैं तो दुल्हन के लिए जो सुहागन का जोड़ा बनता है वो लाल रंग का होता है.
ये भी पढ़ें: भारत और चीन सहित कई देशों की जन्म दर में गिरावट, पढ़िए इसका दुनियाभर पर क्या असर पड़ेगा