आपने अक्सर शहरों में ट्रैफिक सिग्नल या अन्य जगहों पर किन्नरों को दुआएं देकर बख्शीस मांगते हुए देखा होगा. इसके अलावा परिवार में खुशी के मौके पर भी किन्नर आती हैं और दुआएं देकर जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नरों की मौत के बाद किन्नर समाज के लोग उस शव को जूतों और चप्पलों से पीटते हैं. हालांकि उनके अंतिम संस्कार में कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं शामिल होता है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 


शव यात्रा में जूते-चप्पल


किसी भी किन्नर की मौत होने के बाद किन्नर समाज के लोग उस शव को चप्पलों से पीटते हैं. क्योंकि किन्नर समुदाय के लोग अपने जीवन को अभिशप्त मानते हैं. यही कारण है कि शव यात्रा से पहले मृतक को जूते-चप्पलों से पीटकर गालियां दी जाती हैं. इसकी वजह ये भी है कि अगर मृत किन्नर ने कोई अपराध किया हो तो जाते-जाते उसका प्रायश्चित हो जाए और अगला जन्म आम इंसान का मिले. वहीं जानकारी के मुताबिक किन्नर समुदाय में एक भी किन्नर की मौत के बाद पूरा का पूरा वयस्क किन्नर समुदाय पूरे एक सप्ताह तक व्रत करता है और मृतक के लिए दुआएं मांगता है. दुआओं में किन्नर उस मृतक के लिए अगला जन्म इंसान का मांगते हैं.


दुआओं में बहुत असर


माना जाता है कि कई किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्ति होती है, जिससे उन्हें मौत का आभास हो जाता है. इसलिए मौत से पहले किन्नर कहीं आना-जाना और यहां तक कि खाना भी बंद कर देते हैं. इस दौरान वे सिर्फ पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआ करते हैं. इसके अलावा आसपास और दूरदराज के किन्नर मरते हुए किन्नर की दुआ लेने आते हैं. क्योंकि किन्नरों में मान्यता है कि मरणासन्न किन्नर की दुआ काफी असरदार होती है.


रात में होता है अंतिम संस्कार


ऐसी मान्यता है कि आम लोग अगर मृत किन्नर का शरीर देखते हैं, तो मृतक को दोबारा किन्नर का ही जन्म मिलता है. इसलिए किन्नर की शवयात्रा रात में निकलती है और इसमें कोई बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता है. इसके अलावा किन्नरों की शवयात्रा बिल्कुल अलग होती है. किन्नर मृतक के शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाते हैं. वहीं किन्नरों के बीमारी या मौत की खबर बाहर किसी व्यक्ति को नहीं दी जाती है. 


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