Stars: आसमान में तारों को टिमटिमाते हम सभी बचपन से ही देखते आ रहे हैं. बचपन में हम सभी का सवाल होता था कि आखिर तारे टिमटिमाते क्यों हैं? आपको बता दें कि आसमान में तारों का टिमटिमाना (Twinkling of Stars) उनकी कोई विशेषता नहीं होती है. इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जिसे जानना वाकई आपके लिए रोमांचक होगा. आज इस रिपोर्ट में हम उस सवाल का जवाब देने जा रहे हैं, जो हम सभी के मन में अपने बचपन में आता था.
यह है असलियत
दरअसल, इन तारों की रोशनी अरबों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए हम तक पहुंचती है. तो क्या इनके टिमटिमाते हुए प्रतीत होने के पीछे कोई खास वजह भी है या फिर केवल बहुत दूर से आती हुई रोशनी कारण ही ये ऐसे दिखते हैं? आइए जानते हैं कि इस बारे में विज्ञान का क्या कहना है ये जानने से पहले पृथ्वी की खगोलीय संरचना को थोड़ा संक्षेप में जान लेते हैं.
हमारा वायुमडंल
आपको बता दें कि तारों के टिमटिमाने के पीछे की असली वजह हमारा वायुमडंल है जो ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसों का मिश्रण होती हैं. बता दें कि हमारा वायुमंडल हमें अंतरिक्ष की चीजों को साफ तरह से देखने से रोकने का काम भी करता है. रात के समय वायुमडंल की वजह से ही कई खगोलीय पिंड हमें कभी धुंधले से दिखते प्रतीत होते हैं. इस घटाना को खगोलीय जगमगाहट कहते है और आम बोलचाल की भाषा में इसे तारों का टिमटिमाना कहा जाता है.
वायुमडंल की परतें
दरअसल हमारा वायुमंडल प्याज की तरह कई परतों का बना होता है. सबसे नीचे पृथ्वी की सतह से 8 से 14.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक सबसे घनी परत क्षोभमंडल (Troposphere) होती है. इसके बाद की अन्य परतें जैसे समतापमंडल (Stratosphere), मध्यमंडल (Mesosphere), तापमंडल (Thermosphere), बाह्यमडंल (Exosphere) आते हैं.
होती हैं दो और परतें
इन परतों के अलावा वायुमंडल में ओजोन परत (Ozone Layer) और आयनमंडल (Ionosphere) भी शामिल हैं. ओजोन परत क्षोभमंडल के ठीक ऊपर और समतापमंडल के निचले हिस्से में होती है तो वहीं आयनमंडल, मध्यमंडल और तापमंडल के मध्य स्थित होता है, यह अंतरिक्ष से आने वाली रोशनी पर अपना प्रभाव भी डालते हैं.
ऐसे टिमटिमाते हैं तारें
आपको बता दें कि वायुमंडल की इन सभी परतों का तापमान और हवा का घनत्व अलग-अलग होता है. जब तारों की रोशनी वायुमडंल में प्रवेश करती है तो उसे गर्म और ठंडी हवा की परतों से होकर गुजरना होता है तब ये परतें उस रोशनी के लिए एक बड़े मोटे लेंस की तरह काम करती हैं, जिससे प्रकाश के परावर्तन (Reflection) की प्रक्रिया होती और रोशनी की दिशा विचलित हो जाती है.
ये परतें स्थिर लेंस नही होती, बल्कि ये एक गतिमान लेंस की तरह काम करती हैं, जिससे तारों से आने वाली रोशनी लगातार विचलित होती है और हमें तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं. यह बात दूसरे ग्रहों (Planets) और यहां तक कि चंद्रमा (Moon) पर भी लागू होती है. लेकिन इनकी टिमटिमाहट बहुत ही कम मात्रा में दिखाई दे पाती है.
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