Holes in Biscuits Reason: किसी की मेहमान नवाजी करनी हो या सुबह चाय-दूध के साथ नाश्ता, बिस्कुट तो जरूर खाएं होंगे. आपने गौर किया होगा कि इन बिस्कुटों में ढेर सारे छेद होते हैं. बाजार में अलग-अलग फ्लेवर्स और क्वालिटी वाले ढेरों तरह के बिस्कुट उपलब्ध हैं. हालांकि, बहुत से बिस्कुट ऐसे भी होते हैं जिनमें ऐसे छेद नहीं होते हैं, लेकिन ढेर सारे बिस्कुटों में आपने ऐसे छेद देखे होंगे. क्या कभी आपने यह जानने की कोशिश की है कि बिस्कुट में इतने सारे छेद क्यों होते हैं? शायद नहीं की होगी!... तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बिस्कुट में इतने सारे छेद क्यों होते हैं.
डिजाइन नहीं, विज्ञान है यह
आपने कई तरह के ऐसे बिस्कुट खाए होंगे जिनमें कई सारे छेद बने होते हैं. ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि बिस्कुट पर ये छेद सिर्फ डिजाइन के लिए बनें होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल बिस्कुट में ये छेद करना इनकी मैन्युफैक्चरिंग का एक जरूरी हिस्सा है. इसके पीछे भी एक तरह का विज्ञान छुपा है. आइए जानते हैं...
बिस्कुट में बनें छेदों को कहते हैं डॉकर्स
बिस्कुट में बने इन छेदों को डॉकर्स कहा जाता है. इनको बनाने के पीछे की वजह को आप इस उदाहरण से समझ सकते हैं कि जब कोई मकान बनता है तो उसमें भी वेंटिलेशन के लिए छेद या जगहें छोड़ दी जाती हैं ताकि हवा पास हो सके. बिस्कुट में छेद करने के पीछे की वजह भी कुछ ऐसी ही है. दरअसल, बिस्किट में छेद इसलिए ही छोड़े जाते हैं ताकि बेकिंग के समय इन छेदों से हवा आसानी से पास हो सके. अब आप सोच रहे होंगे कि इनमें से हवा का पास होना क्यों जरूरी है!... बताते हैं...
इसलिए बनाए जाते हैं छेद
दरअसल, बिस्कुट बनाने के लिए मैदा, आटा, नमक, चीनी आदि गूंथी हुई सामग्री होती है. इस सामग्री को सांचे में फैलाकर एक मशीन के नीचे रख दिया जाता है और मशीन उनमें छेद कर देती है. असल में बिना छेद के बिस्कुट ठीक नहीं बन पाता है, क्योंकि बिस्कुट बनाते समय उसमें थोड़ी हवा भर जाती है. जब ओवन में इनकी बेकिंग की जाती है तो हीटिंग के दौरान गर्म होने से यह फूलने लगती है. ऐसे में बिस्कुट का आकार बिगड़ने का खतरा रहता है और वे बीच से ही टूटने लगेंगे. इसलिए हवा और हीट को निकालने के लिए ही बिस्कुट में ये छेद बना दिए जाते हैं.
डिजाइन क्यों समझ लेते हैं लोग?
दरअसल, फैक्ट्रियों में बिस्कुट बनाने के लिए इतनी हाइटेक मशीनें लगी होती हैं कि वो बिस्कुट पर एक समान दूरी पर छेद बनाती हैं. ऐसे में आम आदमी को देखने पर लगता है कि ये डिजाइन है.
यह भी पढ़ें: एक बार देश में छपे थे 0 रुपये के नोट, जानिए फिर उन्हें किस काम में लिया गया?