Fruit Colour Fact: आपने देखा होगा ज्यादातर कच्चे फल हरे रंग के होते हैं. हालांकि, जैसे-जैसे फल पकने लगता है, वैसे-वैसे उसका रंग बदलने लगता है. जब फल पूरी तरह से पक जाता है तो अपने आप टूट कर नीचे गिर जाता है. अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों है? क्यों कच्चे फल का रंग हरा ही होता है और पकने पर उसका रंग क्यों बदल जाता है? इन्ही सवालों का जवाब इस आर्टिकल में है.


हरा फल कर रहा होता है वृद्धि


दरअसल, जब फल कच्चा होता है तो उसका क्लोरोप्लास्ट्स उसकी उपरी परत में होता है. क्लोरोप्लास्ट्स क्या होता है...? क्लोरोप्लास्ट्स हरे प्लांट सेल होते हैं, जिनमें क्लोरोफिल होता है. यह प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में मदद करता है. कच्चे फल इसी के कारण हरे रंग के दिखाई देते हैं. वृक्ष की डाली पर लगे फल के हरे होने कर अर्थ है कि फल सूर्य के प्रकाश से भोजन ग्रहण कर रहा है. यानी फिलहाल वह उपयोग के लिए तैयार नहीं है और वृद्धि कर रहा है.


फल का रंग क्यों बदलता है?


धीरे-धीरे यह क्लोरोप्लास्ट 'क्रोमोप्लास्ट' में बदलता जाता है, इसी दौरान फल का रंग भी बदलने लगता है और ज्यादातर मामलों में यह लाल रंग में परिवर्तित होता है. फल का पकना एक रासायनिक प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया के दौरान फल के स्वाद, रंग और खुशबू आदि कई चीजों में बदलाव होता है. इस प्रक्रिया के दौरान फल का स्टार्च शर्करा में बदल जाता है. जैसे-जैसे क्लोरोप्लास्ट कम होता जाता है, फल का हरा रंग भी कम होता जाता है. फल के पकने की प्रक्रिया में नए पिगमेंट भी बनते हैं. एथिलीन हार्मोन फल के पकने की प्रक्रिया को तेज करता है. 


आसान भाषा में कहें तो...


फल तब तक हरा रहता है, जब तक कि वह सूरज की रोशनी से भोजन ग्रहण करके विकसित हो रहा होता है. पूर्ण रूप से विकसित होने के बाद वह भोजन ग्रहण करना बंद कर देता है. इसीलिए उसका रंग भी बदलने लगता है. वृक्ष की पत्तियों और खेतों में लहराती हुई फसलों में भी यही सिद्धांत काम करता है.


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