आखिर क्यों अल्बर्ट आइंस्टीन की मौत के बाद उनके दिमाग के कर दिए गए 240 टुकड़े?
दुनिया के सबसेे महान फिजिशियन में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन की जब मौत हुई तो उनके दिमाग को संभालकर रख लिया गया था, जो आज भी मौजूद है.
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अल्बर्ट आइंस्टीन को दुनिया के सबसे महान भोतिकविदों में से एक माना जाता है. उन्होंने 12 साल की उम्र में ही अलजेब्रा और यक्लिडियन ज्योमेट्री सीख ली थी. उन्होंने सापेक्षता के सिद्धांत से ब्रम्हांड के नियमों को समझाया था. इस सिद्धांत ने E=mc2 ने विज्ञान की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया था. आइंस्टीन बड़े वैज्ञानिक तो थे ही साथ ही वो उतने ही बड़े दार्शनिक भी थे.
उनका आइक्यू लेवल सबसे अच्छा था. रिपोर्ट्स की मानें तो उनका आईक्यू 160 केे आस-पास था. जहां 130 से ज्यादा आईक्यू वाले लोगों को सुपीरियर माना जाता था वहीं आईंस्टीन का आईक्यू 160 था. जो दुनिया में सिर्फ 2.1 प्रतिशत जनसंख्या का ही होता है. क्या आपको पता है कि आइंंस्टीन का दिमाग इतना खास था कि उनकी मौत के बाद भी उसे संभालकर रखा गया है.
कैसे हुई थी आइंस्टीन की मौत?
बता दें जर्मन मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का जान्म 14 मार्च 1879 को हुआ था. वहीं 76 साल की उम्र में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में 18 अप्रैल 1955 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी. मौत सेे कुछ देर पहले तक वो काफी एक्टिव थे और उस समय वो इजरायल की सातवीं वर्षगांठ पर सम्मान के लिए भाषण पर काम कर रहे थे. अचानक उनके पेेट की धमनी में समस्या होने के बाद उनका निधन हो गया.
क्यों आइंस्टीन के दिमाग को संभालकर रखा गया
अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग बचपन से ही औरों से काफी अलग और तेज था. जन्म से ही उनका सिर बड़ा था. इसलिए जब उनकी मृत्यु हुई तो प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के एक पैथोलॉजिस्ट डॉ थॉमस स्टोल्ट्स ने उनके दिमाग को चुरा लिया.
आइंस्टीन को इस बात का पूरा अंदाजा था कि उनके दिमाग पर रिसर्च हो सकती है, इसलिए इसके लिए उन्होंने पहले ही मना कर दिया था. उन्होंने ये बात पहले कह दी थी कि उनके शरीर के अवशेषों पर कोई अध्ययन न किया जाए. हालांकि फिर भी उनके परिवार की अनुमति के बिना उनके दिमाग को चोरी कर लिया गया.
आइंस्टीन के दिमाग के हुए 240 टुकड़े
अस्पताल द्वारा थॉमस से आइंस्टीन के दिमाग को लौटाने के लिए भी कहा गया, हालांकि फिर भी थॉमस ने उनका दिमाग वापस नहीं लौटाया और लगभग 20 सालों तक उसे छुपा कर रखा. बाद में हार्वे ने आइंस्टीन के बेटे हंस अल्बर्ट से उस दिमाग को अपने पास रखने की अनुमति ले ली.
हालांकि इसके पीछे शर्त ये रखी गई कि उनके दिमाग को सिर्फ विज्ञान के हित में इस्तेमाल किया जाए. इसलिए उनके दिमाग के 240 टुकड़े किए गए और उन्हें केमिकल सेलोइडिन में डालकर तहखाने में छुपा दिया गया था. उनके दिमाग की स्टडी में पाया गया कि उनका दिमाग न्यूरॉन्स और ग्लिया के असामान्य अनुपात से बना हुआ है. हालांकि कई स्टडी के बाद भी आजतक आइंस्टिन के दिमाग को कोई पूरी तरह पढ़ नहीं पाया है.
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