Second Marriage in India: भारत में पति-पत्नी के रिश्ते को सबसे पवित्र माना जाता है. एक बार जब दोनों एक-दूसरे का हाथ थामते हैं तो 7 जन्मों तक साथ रहने का वादा करते हैं. महाराष्ट्र के नागपुर से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जिसमें भारतीय सेना के एक जवान के निधन के बाद उसके पेंशन को लेकर विवाद शुरू हो गया है. जवान के शहीद होने के बाद उसकी दूसरी पत्नी ने पेंशन के लिए आवेदन किया तो पता चला कि पेंशन पहली पत्नी के खाते में जा रही है. जबकि उसके पति ने पहली पत्नी के लापता होने के बाद ही दूसरी से शादी की थी. क्या उसे लीगल माना जा सकता है? आइए जानते हैं कि ऐसे में भारत का कानून क्या कहता है? 


क्या कहता है कानून?


भारतीय कानून एक व्यक्ति को दो शादी की अनुमति नहीं देता है. अगर कोई व्यक्ति बिना तलाक के दूसरी शादी कर लेता है तो उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 के तहत अपराध माना जाता है. शादीशुदा व्यक्ति को पति या पत्नी के जिंदा रहते बिना तलाक के दूसरी शादी करने की अनुमति नहीं है. अगर वह सिर्फ उसे छोड़ देता है और कानूनी प्रक्रिया के तहत उसे तलाक नहीं देता है तो लीगल तौर पर वह उसकी पत्नी होती है और सरकार के तरफ से मिलने वाली सुविधाओं में पत्नी के तौर पर उसका हक होता है. बस एक कंडीशन में ऐसा नहीं होता है. अगर उन दोनों में से कोई एक लापता हो जाता है और 7 साल तक नहीं मिलता है तो दूसरा उसके बाद शादी कर सकता है. इस जवान के मामले में उसकी पहली पत्नी लापता हो गई थी, जिसके बाद उसने दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन उसने कितने दिनों बाद दूसरी शादी की. इसकी जानकारी अभी सामने नहीं है. उसने अपने दस्तावेज में दूसरी पत्नी का नाम भी अपडेट नहीं कराया था.  


दूसरी पत्नी के पास क्या है अधिकार?


इस संबंध में जब हमने एडवोकेट माधुरी तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के कानून के मुताबिक, पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह वैध नहीं है. अथवा दूसरी पत्नी के पास पति के पेंशन को क्लेम करने का अधिकार नहीं है. अगर दूसरी शादी से कोई बच्चा हुआ है और उसके दस्तावेज में पिता के नाम पर उस जवान का नाम लिखा गया है तो वह उनकी स्व अर्जित संपत्ति में अधिकार मांग सकता है, लेकिन उनके पेंशन में दूसरी पत्नी का कोई अधिकार नहीं होगा.


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