दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भारत है, हालांकि मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्‍ययन की मानें तो भारत की आबादी बढ़ने की दर लगातार घटती जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 1950 में भारत में प्रजनन दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर 2 से भी कम पर पहुंंच गई है. रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि भारत में प्रजनन दर घटने का ये दौर लगातार जारी रहेगा. यदि ये बना रहा तो 2050 कर भारत में प्रजनन दर 1.3 रह जाएगी. प्रजनन दर में इस गिरावट को देश के फायदे के तौर पर देखा जा रहा है. आखिर इसके पीछे क्या लॉजिक है. चलिए जानते हैं.


प्रजनन दर में गिरावट से देश को होगा क्या फायदा?
भारत फिलहाल दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, इस तरह ये प्रजनन दर सेे देश की जनसंख्या में कमी आाएगी. जो आने वाले समय में देखने को मिलेगी. इससे देश में चुनौती बनी बढ़ती जनसंख्या में राहत मिलेगी. हालांकि इसके काफी नुकसान भी हैैं. भारत के लिए प्रजनन दर घटने के बड़े मायने हैं. इससे दुनियाभर के देशों के सामने कई चुनौतियां पेश आएंगी. 


फर्टिलिटी रेेट कम होनेे के ये नुकसान
फर्टिलिटी रेट कम होने के काफी नुकसान भी हैं. दरअसल लगातार कम होती प्रजनन दर केे चलते लैंगिक असमानताएं भी देखने को मिल सकती हैें. जिसके कारण सामाजिक असंतुलन भी पैदा हो सकता है. हालांकि भारत के लिए ये चुनौतियां कुछ दशक दूर हैं. फिर भी हमें भविष्य के लिए अभी से काम करने की जरूरत है. डॉक्‍टर्स के अनुसार, प्रजनन दर घटने का बड़ा कारण पहले के मुकाबले अब देर से हो रही शादियां भी हैं और देरी से शादी के कारण बच्चों की प्लानिंग में भी देरी प्रजनन दर में गिरावट का कारण बन रही है. इसके अलावा अब दंपति पहले के मुकाबले आज केे समय में बच्चे भी कम पैदा कर रहे हैं.             


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