दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं. इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक और इंजीनियर लगातार नए-नए समाधान ढूंढ रहे हैं. इनमें से एक समाधान है पौधों के तेल से बने ईंधन का उपयोग. जी हां, आपने सही सुना! अब जल्द ही हम पौधों के तेल से चलने वाले विमानों को आसमान में उड़ते हुए देख सकते हैं.


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क्या है सैफ?


सैफ का पूरा नाम 'सतत विमानन ईंधन' (Sustainable Aviation Fuel) है. यह एक ऐसा ईंधन है जो पौधों के तेल, कृषि अपशिष्ट और अन्य जैव पदार्थों से बनाया जाता है. सैफ को पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के साथ मिलाकर विमानों में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह ईंधन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होता है.


सैफ के फायदे


सैफ के इस्तेमाल से विमानों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है. साथ ही सैफ पौधों के तेल और कृषि अपशिष्ट जैसे नवीकरणीय संसाधनों से बनाया जाता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है और सैफ के इस्तेमाल से हवाई यात्रा से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी और हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा. इसके अलावा सैफ के इस्तेमाल से ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा क्योंकि हम जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भर होंगे.


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सैफ कैसे बनाया जाता है?


सैफ बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. इसमें पौधों के तेल, कृषि अपशिष्ट या अन्य जैव पदार्थों को एक विशेष प्रक्रिया से गुजारा जाता है. इस प्रक्रिया में इन पदार्थों से तेल निकाला जाता है और फिर उसे विमान के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.


भारत में सैफ का विकास


भारत भी सैफ के विकास में तेजी से आगे बढ़ रहा है. देश में कई कंपनियां और अनुसंधान संस्थान सैफ बनाने पर काम कर रहे हैं. सरकार भी सैफ के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां बना रही है.                                    


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