(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
फिर से आने वाला है पराली और प्रदूषण का सीजन, जानिए प्रदूषण में इसका कितना रोल
Stubble and Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में पराली जलाने का बड़ा योगदान है. सर्दियों के महीनों के दौरान यह विशेष रूप से अपना रोल प्ले करता है. आइए इसके बारे में समझते हैं.
Stubble and Pollution: ठंड ने दस्तक दे दी है. दिल्ली एनसीआर ही नहीं पूरे देश में ठंड के चपेट में लोग आने लगे हैं. लेकिन दिल्ली एनसीआर में ठंड के साथ एक और चीज ने दस्तक दी है और वह है प्रदूषण. दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण आस-पास के क्षेत्रों में पराली जलाना है. यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या पूरे देश में पराली सिर्फ दिल्ली और उसके आसपास ही जलाई जाती है और यदि दूसरे शहरों में भी पराली जलाई जाती है तो दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र ही सबसे अधिक प्रदूषण की चपेट में क्यों आते हैं? आज की स्टोरी में हम सभी सवालों का जवाब देंगे ताकि आपको समझ में आ सके कि प्रदूषण फैलाने में पराली का कितना रोल होता है.
प्रदूषण में पराली का कितना रोल
किसान फसल काटने के बाद खेतों में बचे धान के डंठल (पराली) को जला देते हैं. किसान अवशेषों को साफ़ करने और अपने खेतों को बुवाई के लिए तैयार करने के लिए पराली में आग लगा देते हैं. खास कर हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में किसान पराली जलाते हैं. फसल अवशेष जलाने से निकलने वाले धुएं में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं. पराली जलाना वायुमंडलीय कण पदार्थ (पीएम) और सूक्ष्म गैसों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो स्थानीय और क्षेत्रीय जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है.
स्वास्थ्य को खतरा
वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इससे स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों का कैंसर और सांस लेने में परेशानी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में बचाव के लिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि मास्क लगाकर ही बाहर निकलना चाहिए. अगर आवश्यकता ना हो तो बाहर निकलने से बचना चाहिए.
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