उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों का खौफ अभी भी बना हुआ है. यहां 35 गांवों में लोग रात भर जागकर घरों की रखवाली कर रहे हैं. अब तक वन विभाग ने चार भेड़ियों को पकड़ लिया है, हालांकि अब भी दो भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है. लेकिन आज हम आपको भेड़ियों से जुड़ा एक तथ्य बताएंगे, जो शायद अभी तक आपको पता नहीं होगा. क्या आप जानते हैं कि भेड़िया अपने शिकार को 2 किलोमीटर से अधिक दूरी तक सूंघ सकता है. 


भेड़िया


उत्तर-प्रदेश के बहराइच जिले में वनविभाग ने अब तक 4 आदमखोर भेड़ियों को पकड़ा है. लेकिन दो अभी भी घूम रहे हैं और पकड़ में नहीं आए हैं. बीते रविवार की रात भी भेड़िये के हमले में एक ढाई साल की बच्ची की मौत हो हो गई है. इससे पहले भेड़ियों ने एक बच्चा, एक महिला और बुजुर्ग पर हमला कर घायल कर दिया था. बता दें कि बहराइच में खूंखार भेड़ियों ने अब तक 8 बच्चों समेत नौ लोगों की जान ले चुके हैं. 


सूंघने की क्षमता


बता दें कि भारतीय भेड़ियों की सूंघने की क्षमता असाधारण रूप से तेज़ होती है. भारतीय भेड़ियों के चौड़े थूथन में करीब 28 करोड़ गंध रिसेप्टर्स होते हैं, जो मनुष्यों (50-60 लाख) से कहीं ज्यादा है. यही कारण है कि भेड़िए बहुत दूर की गंध का अंदाज लगा सकते हैं. भेड़ियों के शरीर के विभिन्न हिस्सों में विशिष्ट गंध ग्रंथियां होती हैं. रिसर्च के मुताबिक भेड़िये 2.5 किमी (1.5 मील) दूर तक शिकार को सूंघ सकते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि भारतीय भेड़िये 3 मीटर (10 फीट) बर्फ के नीचे दबे शिकार का पता लगाने में सक्षम हैं. 


भेड़ियों की आवाज


भारतीय भेड़ियों की आवाज चार प्रकार की होती है. जिसमें चीखना, गुर्राना, फुसफुसाना और भौंकना शामिल है. ये 180 डेसिबल की आवृत्ति पर चीख सकते हैं, जो रॉक कॉन्सर्ट से भी अधिक ऊंची आवाज है. ये 103 से 145 सेमी लंबा (यानि 41 से 57 इंच) लंबा होते हैं. ये लंबाई नाक से लेकर पूंछ तक की होती है. पुरुष भेड़िये का वजन 19 से 25 किलोग्राम होता है तो मादा 17-22 किलो की होती है.


जानवर कब बनते हैं आदमखोर


अब कई बार सवाल होता है कि कोई भी जानवर कब आदमखोर बनते हैं. जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि जब भेड़िया, बाघ समेत अन्य जानवरों के मुंह में इंसानी खून लग जाता है, तो उसके आदी हो जाते हैं.  वहीं फिर भूख लगने पर वो अपने अन्य शिकारों के बजाय इंसान को ढूंढने लगते हैं. यह भी माना जाता है कि जब इन जानवरों को शिकार नहीं मिलता है, तब भी वे आदमखोर हो जाते हैं.


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