यूपी के कई जिलों में पहले भी हमला कर चुके भेड़िए, 50 बच्चों को मारकर लिया था इस बात का बदला
आज से 20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ में सई नदी के किनारे के इलाकों में भेड़ियों को आतंक बढ़ गया था. उस दौरान भेड़ियों ने 50 से अधिक इंसानी बच्चों को अपना शिकार बनाया था.
बचपन में हम सभी ने एक कहानी जरूर सुनी होगी, कि अगर किसी नाग को आपने मार दिया तो उसकी नागिन अपने नाग की मौत का बदला लेती है. बॉलीवुड की फिल्मों में भी हमें ये कहानी देखने को मिलती है, जहां नाग की मौत का बदला लेने के लिए नागिन इंसानों को मौत के घाट उतारती है.
अब सवाल उठता है कि क्या भेड़िये भी ऐसा करते हैं. क्या उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िये इंसानों का शिकार अपने किसी बदले के स्वरूप में कर रहे हैं. चलिए आज आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
वन विभाग की टीम ने क्या कहा
उत्तर प्रदेश के बहराइच में जुलाई महीने से अब तक कुल 11 लोगों की मौत भेड़ियों के हमले में हो चुकी है. मंगलवार की रात 11 साल की एक बच्ची को भी भेड़िये ने अपना शिकार बना लिया.
वन विभाग का कहना है कि इन हमलों के लिए 6 भेड़ियों का एक पैक जिम्मेदार है, जिसमें से 5 भेड़ियों को पहले ही पकड़ लिया गया है. लेकिन एक भेड़िया अभी भी पकड़ से बाहर है और सम्भवत: मंगलवार को हुआ हमला इसी भेड़िया ने किया है.
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50 से ज्यादा बच्चों की गई थी जान
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भेड़िये ऐसे जीव हैं जिनमें बदला लेने की प्रवृत्ति होती है. यानी अगर आपने उन्हें या उनके परिवार को नुकसान पहुंचाया तो वो बदला लेते हैं. मनीकंट्रोल से बात करते हुए भारतीय वन सेवा विभाग के रिटायर्ड अधिकारी ज्ञान प्रकाश सिंह बताते हैं कि भेड़ियों के हमले के पीछे एक संभावित वजह पूर्व में उनके बच्चों पर या परिवार पर किसी तरह का इंसानी हमला हो सकता है. उनका कहना है कि इस तरह का मामला आज से 20-25 साल पहले भी हो चुका है.
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उनके मुताबिक, आज से 20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ जिलों में सई नदी के किनारे के इलाकों में भेड़ियों को आतंक बढ़ गया था. उस दौरान भेड़ियों ने 50 से अधिक इंसानी बच्चों को अपना शिकार बनाया था. ज्ञान सिंह कहते हैं कि जब हमने इसकी सही से जांच की तो पाया कि इन हमलों से पहले कुछ लोगों ने भेड़ियों की मांद में घुस कर उनके दो बच्चों को मार दिया था. इसका बदला लेने के लिए भेड़िये इंसानों के खून के प्यासे हो गए थे. यानी आदमखोर हो गए थे. बाद में जब वन विभाग की टीम ने उन आदमखोर भेड़ियों को जान से मारा तब जाकर कहीं ये हमले बंद हुए थे.
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