भारत में सालों से पीरियड लीव को लेकर बहस होती है. महिलाओं का कहना है कि पीरियड के दौरान उन्हें छुट्टी मिलनी चाहिए. हालांकि कई बार कुछ महिलाएं इसका विरोध भी करती है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने पीरियड लीव पर केंद्र सरकार को एक मॉडल पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में किन जगहों पर पीरियड्स लीव मिलती है. आज हम आपको उन कंपनियों और राज्यों के बारे में बताएंगे, जहां पर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान छुट्टी मिलती है.
सुप्रीम कोर्ट में मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पीरियड लीव पर केंद्र सरकार को एक मॉडल पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है. लेकिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि पीरियड लीव नीति से जुड़ा मुद्दा है. बेंच ने कहा कि इस पर अदालत में विचार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि अगर बेंच इस पर फैसला सुनाती है, तो वो हानिकारक हो सकता है और कंपनियां महिलाओं को नौकरी पर रखने से बच सकते हैं.
पीरियड लीव क्यों?
पुरुषों समेत कई महिलाएं भी इस बात को पूछती हैं कि आखिर पीरियड लीव क्यों चाहिए. पीरियड लीव की पक्ष में बात करने वाले लोगों ने कहा कि इस दौरान महिलाओं को असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है. मेडिकल साइंस के मुताबिक आने से पहले और इसके दौरान महिलाओं में 200 तरह के बदलाव होते हैं. ये बदलाव सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक भी होते हैं. अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सियाओबान हार्लो का कहना है कि पीरियड्स के दौरान 15% से 25% महिलाओं को जबरदस्त दर्द होता है.
भारत में पीरियड लीव
दुनियाभर के कई देशों में महिलाओं को पीरियड लीव मिलता है. हालांकि भारत में इसको लेकर कोई केंद्रीय कानून नहीं है. हालांकि 2020 में जोमैटो कंपनी ने पीरियड लीव का ऐलान किया था. जोमैटो हर साल 10 दिन की पेड लीव देता है. इसके अलावा भी कई कई स्टार्टअप ऐसी छुट्टियां देनी शुरू कर दी थी. भारत के राज्यों में बात किया जाएगा तो सिर्फ बिहार, केरल और सिक्किम में पीरियड लीव को लेकर नियम हैं. बिहार को कई मामलों में लोग पिछड़ा मानते हैं. लेकिन बिहार पहला राज्य था, जिसने अपनी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव का हक दिया था. बिहार में 1992 से कानून है कि राज्य सरकार की महिला कर्मचारी हर महीने दो दिन की पीरियड लीव ले सकती हैं. हालांकि ये छुट्टी 45 साल की उम्र तक मिलती है. 2023 में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सरकारी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं छात्राओं के लिए पीरियड लीव का ऐलान किया था. इसके साथ ही महिला छात्राओं के लिए 75% की बजाय 73% अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया था.
केंद्रीय कानून नहीं
भारत में केंद्रीय स्तर पर इसको लेकर कोई कानून या नीति नहीं है. संसद में कई बार पीरियड लीव को लेकर कुछ सांसदों ने प्राइवेट बिल जरूर पेश किये हैं, लेकिन उस पर मामला आगे नहीं बढ़ पाया था. पिछले कार्यकाल में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी पीरियड लीव का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि ये कोई बीमारी या विकलांगता नहीं है, उनका कहना था कि पीरियड लीव को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है.
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