Waqf Act: क्यों लाया जा रहा है वक्फ अधिनियम? जानें संशोधन के बाद क्या होंगे बड़े बदलाव
केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम 1954 में संशोधन करने जा रहा है. जानिए इससे पहले कब-कब वक्फ एक्ट में संशोधन हुआ था और इस बार सरकार इसमें क्या बदलने जा रहा है. क्या इससे महिलाओं को फायदा होगा.
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नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार अब वक्फ अधिनियम 1954 में बड़े बदलाव करने जा रही है. क्या आप जानते हैं कि वक्फ अधिनियम में क्या-क्या बदलाव होंगे और इससे पहले सरकार ने वक्फ अधिनियम में कब संशोधन किया था. आज हम आपको वक्फ अधिनियम में होने वाले नए बदलावों के बारे में बताएंगे.
वक्फ अधिनियम
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को वक्फ अधिनियम विधेयक बिल के 40 संशोधनों को मंजूरी मिली है. जानकारी के मुताबिक संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को पास कराने की तैयारी है. कहा जा रहा है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद वक्फ बोर्ड की सभी शक्तियां और पारदर्शी होंगी, जिससे काम करने में आसानी होगी. इतना ही नहीं इस बिल के पास होने से पहली बार वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं की भागादारी भी सुनिश्चित होगी. नए बिल में वक्फ बोर्ड की जमीन या किसी भी तरह की संपत्ति की निगरानी में अब मजिस्ट्रेट को भी शामिल करने का प्रस्ताव है.
वक्फ अधिनियम 1954
बता दें कि देश में वक्फ अधिनियम 1954 में लागू किया गया था. वहीं साल 1995 में इस अधिनियम में पहला संशोधन और साल 2013 में दूसरा संशोधन किया गया था. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार अब वक्फ बोर्ड में तीसरा संशोधन करके पहले से अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी. इस बार संशोधन के बाद वक्फ को दान की गई संपत्ति को नियंत्रित करना और महिलाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित करना आसान होगा.
वक्फ बोर्ड में 7 सदस्य
जानकारी के मुताबिक वक्फ बोर्ड में 7 सदस्य होते हैं. जिसमें एक एमपी कोटा से होता है, एक एमएलए कोटा से होता है. एक सामाजिक संस्था से जुड़ा इंसान होता है और एक कानून से जुड़ा व्यक्ति और एक इस्लामिक विद्वान होते हैं. इसमें अभी तक महिलाओं की कहीं कोई जगह नहीं है.
2013 संशोधन
बता दें कि साल 2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों में इजाफा कर दिया था. उस वक्त खासकर गरीब मुस्लिम, मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा महिलाओं के बच्चे के साथ-साथ शिया और बोहरा जैसे मुस्लिम समाज के लोग कानून में बदलाव की मांग करने लगे थे. इन लोगों का आरोप था कि वक्फ बोर्ड में आम मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है. सिर्फ ताकतवर और धनी लोग ही इसका फायदा उठा रहे हैं. आरोप था कि वक्फ बोर्ड का पैसा कितना आता है और कहां चला जाता है. इसका कोई हिसाब नहीं है.
200 करोड़ का राजस्व
देश में वक्फ बोर्ड अधिनियम पहली बार साल 1954 में पारित हुआ था. बता दें कि भारत में वक्फ संपत्ति दुनिया में सबसे ज्यादा है. जानकारी के मुताबिक वक्फ बोर्ड से सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. बता दें कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और उसके राजस्व में केंद्र सरकार, राज्य सरकार या देश की अदालतें भी हस्तक्षेप नहीं करती है. हालांकि सच्चर कमिटी ने भी कहा था वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए.
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