घर का खाना हर व्यक्ति की पहली पसंद होती है. जो स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. हालांकि अब आपके किचन में ऐसी चीजें भी हो सकती हैं जो आपकी आंखों के सामने आपकी सेहत से खिलवाड़ कर सकती हैं और वो हैं नकली मसाले. ये मसाले किसी भी व्यक्ति को बीमार और बहुत बीमार बना सकते हैं. दरअसल इन मसालों में कुछ ऐसी चीजें मिलायी जा रही हैं जो आपको कैंसर जैसी बीमारी तक दे सकती हैं.
नकली मसालों में मिलाया जाता है एसिड-केमिकल और लकड़ी का बुरादा तक
नकली मसालों को रंग देने और इन्हें बिल्कुल असली जैसा दिखाने के लिए ऐसी-ऐसी चीजें मिलायी जाती हैं जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. दरअसल दिल्ली में हाल ही में पुलिस ने एक नकली मसाला बनाने वाली फैक्ट्रियों का भांडाफोड़ किया है. जिसमें 15 टन नकली मसालों को जब्त किया गया है. इन मसालों को 50-50 किलो के कट्टों में बेचा जाता था. इन मसालों को बनाने में सड़े हुए चावल, बाजरा, लकड़ी का बुरादा, एसिड और केमिकल सहित कई चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा था.
नकली मसालों को बनाने वाली कई कंपनियां अबतक सामने आ चुकी हैं. ऐसे में इन्हें बनाने के लिए हर व्यक्ति अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करता था.
इन नकली मसालों में मिलाया जाता है केमिकल से लेकर डाई कलर तक
लाल मिर्च- नकली लालमिर्च बनाने के लिए मुनाफाखोर कपड़ों की डाई कलर, लाल ईंट या कबेलू को बारीक पीसकर तैयार कर रहे हैं. जिससे कैंसर जैसी बीमारियों का भी खतरा रहता है.
हल्दी पाउडर- हल्दी पाउडर (Turmeric Powder) को नेचुरल कलर और हेल्थ इंग्रीडीएंट भी कहते हैं, लेकिन बेचने वाले हल्दी में भी मिलावट करके इसे बेच रहे हैं. नकली हल्दी पाउडर बनाने के लिए मेटानिल येलो नामक कैमिकल को मिलाया जा रहा है, जिससे शरीर में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
धनिया पाउडर- नकली धनिया पाउडर (Coriander powder) में पशुओं का भूसा और यहां तक कि खरपतवार को भी बारीक पीसकर मिलाया जा रहा है. इतना ही नहीं, कई लोग आटे की भुसी को भी हरा रंगकर मिलाकर धनिया पाउडर बना रहे हैं.
दालचीनी- दाल चीनी एक पेड़ की छाल होती है, लेकिन इसमें भी मिलावट करके इसके बेचा जा रहा है. बता दें कि दाल चीनी की जगह अमरूक के पेड़ की छाल को पैक किया जा रहा है.
काली मिर्च- काली मिर्च कई तरह से लाभकारी होती है, हालांकि ये नकली हो तो वो लाभ कम हो जाते हैं. मुनाफाखोर नकली कालीमिर्च बनाने के लिए पपीते के बीजों को सुखाकर इसमें मिला रहे हैं. जिससे इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है.
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