World Day Against Child Labour 2024: 12 जून को दुनियाभर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. बाल मजदूरी काफी समय से चली का रही है. पहली बार विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने दिया था. इसका मकसद बाल मजदूरी को रोकना था. हालांकि इतने सालों में भी इसमें कमी दर्ज नहीं की गई है. अब भी हर 10 में से एक बच्चा बाल मजदूर है, जो काफी कम उम्र से ही मजदूरी कर जीवन यापन करना शुरू कर देता है, इससे उनकी शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है. कुछ देशों में बाल मजदूरी दर बहुत अधिक है.
क्या हैं बाल मजदूरी के आंकड़े?
2001 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, 5-14 आयु वर्ग में 1.26 करोड़ कामकाजी बच्चे हैं, जबकि कुल बच्चों की आबादी 25.2 करोड़ है. 2004-05 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, अनुमानित तौर पर कामकाजी बच्चों की संख्या 90.75 लाख है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, 5-14 वर्ष की आयु के कामकाजी बच्चों की संख्या और कम होकर 43.53 लाख हो गई है. इससे ये पता चलता है कि सरकार के प्रयासों के चलते बाल मजदूरी में कमी आई है.
किस देश में हैं सबसे ज्यादा बाल मजदूर?
दुनियाभर में बाल मजदूरी करवाना सजा है, वाबजूद इसके दुनियाभर में बाल मजदूरी करवाई जा रही है. सबसे ज्यादा बाल मजदूरों की संख्या अफ्रीका में है. इस देश में 7.21 करोड़ बच्चे बाल श्रम की कैद में जकड़े हुए हैं, जबकि एशिया-पैसेफिक में 6.21 करोड़ बच्चे मजदूरी कर जीवन यापन रहे हैं. वहीं दुनिया के सबसे विकसित कहे जाने वाले देश अमेरिका में भी बाल मजदूरों की संख्या कम नहीं है, यहां एक करोड़ से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी में जकड़े हुए हैं.
लॉकडाउन के बाद बड़े बाल मजदूर
साल 2000 के बाद बाल मजदूरों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की जा रही थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद कई परिवार गरीबी में फंस चुके हैं. इसके बाद बाल मजदूरों की संख्या में भी काफी वृद्धि दर्ज की गई है. परिवारों के पालन पोषण का जिम्मा अब घर के बच्चों पर भी आ गया है. यही वजह है कि आज भी 160 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी में लगे हुए हैं. दुनिया में ये रेट देखें तो हर दस में से एक बच्चा बाल मजदूरी कर रहा है.
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