World Listening Day 2024: सुनना कितना जरुरी है ये हम सभी जानते हैं, किसी के द्वारा कही गई बात हम सुनकर समझते हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि सुनने के लिए भी एक खास दिन हो सकता है. जैसे मुस्कुराने का दिन होता है, प्यार करने का दिन होता है, माता पिता के लिए भी एक खास दिन होता है. इसी तरह सुनने का भी एक खास दिन होता है, जिसे आज यानी 18 जुलाई को वर्ल्ड लिसनिंग डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इसे हिंदी में विश्व श्रवण दिवस कहा जाता है.


क्या है इसका महत्व?


वर्ल्ड लिसनिंग डे या विश्व श्रवण दिवस के इतिहास पर नजर डालें तो 18 जुलाई को कनाडा के संगीतकार और मशहूर पर्यावरणविद् रेमंड मरे शेफर के जन्मदिन के अवसर पर ये मनाया जाता है. इस खास दिन के लिए रेमंड को ध्वनिक पारिस्थितिकी के संस्थापक के रूप में देखा जाता है.


इनका जन्म 18 जुलाई, 1933 को हुआ था. समय के साथ इन्हें म्यूजिक पसंद आने लगा, ऐसे में इन्होंने खुद का वर्ल्ड साउंडस्केप प्रोजेक्ट बनाया. जिसने 1970 के दशक में ध्वनिक पारिस्थितिकी के मौलिक विचारों और प्रथाओं को रखा और उसको लेकर समाज में नए ढंग की जागरूकता फैलाई.


कब हुई थी शुरुआत?


वर्ल्ड लिसनिंग डे को मनाने की शुरुआत साल 2010 में हुई थी, इस दिन का मुख्य आकर्षण इसकी थीम होती है. जैसे 2017 में इसकी थीम, ‘लिसनिंग टू द ग्राउंडरखी गई थी और इसको लेकर बताया गया था किजैसे हम जमीन पर चलते हैं, कभी फुटपाथ पर, डामर की सड़क पर या किसी और सर्फेस पर. तो हमारे चलने में भी एक आवाज होती है, क्या हम उस आवाज को सुन सकते हैं? उसकी बारीकियों को समझ सकते हैं? यदि हमने उस आवाज को समझ लिया तो हो सकता है हम अपने लिए एक नई धरती को ढूंढ सकें.


जहां ऐसा ही जीवन मुमकिन हो.” ये बात एक बार में समझ आने वाली नहीं है लेकिन हम बार-बार इसके बारे में सोचें तो समझ पाएंगे कि ये बात कितनी गहरी है और इसके जरिए समझ पाएंगे कि वर्ल्ड लिसनिंग डे कितना जरुरी है.


क्या है वर्ल्ड लिसनिंग डे 2024 थीम


किसी भी दिन को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है. ऐसे ही साल 2024 के लिए वर्ल्ड लिसनिंग डे की थीमलिसनिंग टू द वीव ऑफ टाइम’ (Listening to the Weave of Time) रखी गई है


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