परमाणु हथियारों से शहरों को तबाह होते तो आपने एक बार देखा ही है. लेकिन क्या आपने कभी किसी झील को इससे तबाह होते देखा है. सबसे बड़ी बात कि ये झील परमाणु हथियारों के विस्फोट से तबाह नहीं हुई है, बल्कि इसे बनाने में इस्तेमाल हुई चीजों से बर्बाद हुई है. चलिए आज आपको हम इस आर्टिकल में दुनिया की सबसे रेडियोएक्टिव झील के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही आपको बताते हैं कि आखिर ये झील किस देश में स्थित है.


दुनिया की सबसे प्रदूषित झील


दुनिया की सबसे प्रदूषित झील रूस में है. इसे कराचाय झील के नाम से जाना जाता है. जैसे ही आप इस झील के नजदीक जाएंगे आप इसके पानी के रंग से ही समझ जाएंगे कि ये कोई आम झील नहीं है. दरअसल, इस झील के पानी का रंग बिल्कुल काला है. ये काला रंग कीचड़, मिट्टी या कचरे का नहीं है.


बल्कि ये काला रंग रेडियोएक्टिव पदार्थों की वजह से हुआ है. कहा जाता है कि 70 साल पहले सोवियत संघ सरकार ने इस झील के पास एक गुप्त परमाणु हथियार कारखाना बनाया था. हथियारों के उत्पादन के समय जो भी कचरा निकलता था वह इसी झील में गिरता था. इसी की वजह से आज ये झील दुनिया की सबसे रेडियोएक्टिव झील हो गई है.


मुसीबत का पहाड़ है कराचाय झील


कराचाय झील में कई रेडियोएक्टिव तत्व पाए जाते हैं. इसमें प्लूटोनियम-239, यूरेनियम-238 और सेसियम-137 पाया जाता है. प्लूटोनियम-239 एक विषैला और रेडियोएक्टिव पदार्थ है, जिसका उपयोग परमाणु हथियारों में किया जाता है. वहीं यूरेनियम-238 एक सामान्य रेडियोएक्टिव तत्व है जो वातावरण में मिल जाता है. सेसियम-137 की बात करें तो यह लंबे समय तक पर्यावरण में रहने वाला तत्व है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है.


लोगों को हो रही है गंभीर बीमारियां


कराचाय झील में मौजूद रेडियोएक्टिव तत्वों के संपर्क में आने से स्थानीय लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याएं भी हो रही हैं. इसमें कैंसर प्रमुख है. इसके अलावा लोगों के डीएनए में भी परिवर्तन हो रहा है. वहीं रेडियोएक्टिव तत्वों के संपर्क में आने की वजह से अब महिलाओं में गर्भपात के उच्च जोखिम भी देखे जा रहे हैं.


अमेरिका में भी है एक रेडियोएक्टिव झील


रूस की तरह अमेरिका में भी एक रेडियोएक्टिव झील है. इस झील का नाम है कैनियन झील, जो वॉशिंगटन के हनफोर्ड क्षेत्र में स्थित है. इस झील का आकार लगभग 33,000 एकड़ है. कैनियन झील की रेडियोएक्टिव होने का मुख्य कारण है हनफोर्ड साइट, जो एक परमाणु ऊर्जा अनुसंधान केंद्र था. ये केंद्र सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान बनाया गया था और तब से ही ये झील रेडियोएक्टिव है.


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