एक तस्वीर लाखों शब्दों के बराबर होती है, लेकिन तस्वीरों को ये दर्जा इतनी आसानी से नहीं मिला. दुनिया में पहली तस्वीर 1826 में ली गई थी. यानी
आज से 198 साल पहले. आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की पहली तस्वीर एक खिड़की से ली गई थी. जिसे फ्रेंच वैज्ञानिक जोसेफ नाइसफोर ने लिया था. हालांकि तस्वीर को हकीकत में बनाने का श्रेय वैज्ञानिक जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर को ही जाता है. इन्होंने ही डॉगोरोटाइप प्रक्रिया का आविष्कार किया था. जो फोटोग्राफी की पहली प्रक्रिया है. इस अविष्कार की घोषणा 19 अगस्त 1839 को फ्रांसीसी सरकार ने की थी. इसी याद में हर साल इस दिन वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है.


कैसे ली गई थी पहली तस्वीर?


1021 में वैज्ञानिक अल-हायतम ने कैमरा ऑब्सक्यूरा का आविष्कार किया. जो फोटोग्राफिक कैमरे का सबसे पुराना रूप है. 1827 में पहली बार फोटोग्राफिक प्लेट और कैमरा ऑब्सक्यूरा का इस्तेमाल कर वैज्ञानिक जोसेफ ने तस्वीर खींची. जो एक खिड़की से ली गई थी, ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं थी. इसके बाद 1838 में लुईस डॉगेर ने डॉगोरोटाइप प्रक्रिया से तस्वीर को खींचा जो पूरी तरह स्पष्ट थी. इस उपलब्धि को फ्रांस की सरकार ने 1839 में आम जनता से साझा किया था. दुनिया की पहली सेल्फी अक्टूबर 1839 में ली गई थी. ये आज भी युनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस प्रिंट में उपलब्ध है. 1913 में कैमरों का आकार छोटा हुआ. इसके बाद 35 एमएम स्टिल कैमरे विकसित किए गए.


इस दशक में हुआ बड़ा बदलाव


90 का दशक फोटोग्राफी के लिहाज से बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हुआ. इस दौर में रील वाले कैमरे अपने चरम पर थे. इन कैमरों से फोटो लेने पर कई बार स्पष्ट आने की गारंटी नहीं होती थी, लेकिन दशक के अंत तक तेजी से पॉपुलर हुए डिजिटल कैमरे ने पूरी तस्वीर ही बदल दी. इनमें रील की जगह मेमोरी कार्ड का इस्तेमाल किया गया. कैमरे में कैद हुई इन तस्वीरों को देखा जा सकता था और क्रिएटिविटी की भी गुंजाइश थी. धीरे-धीरे मोबाइल के कैमरे भी बदलाव के दौर से गुजरे और मोबाइल फोटोग्राफी का चलन शुरू हो गया.                                                                                                  


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