Dual Flush Concept: किसी भी बिल्डिंग में वाशरूम उसका सबसे खास और जरूरी हिस्सा होता है. टॉयलेट में साफ-सफाई से लेकर, वहां लगी एसेसरीज पर भी हमेशा से ही खास ध्यान दिया जाता है. आज घर से लेकर शॉपिंग मॉल तक सभी जगह पर वाशरूम में नए जमाने के नए अंदाज वाली मॉर्डन फिटिंग अपनी जगह बना चुकी है. ऐसे में आपने भी मॉल्स, सिनेमा और अपने घर के टॉयलेट में लगे अलग-अलग तरह के फ्लश (Flush) देखे होंगे और इस्तेमाल भी किए ही होंगे. 


क्या आपने गौर किया कि आप जहां कहीं भी वाशरूम में गए हैं, उनमें से कुछ मॉडर्न टॉयलेट के फ्लश में आपको दो बटन दिखते हैं. इनमे एक बटन छोटा होता है और एक बड़ा. ऐसा क्यों होता है? ये छोटा और बड़ा बटन कब काम आता है? अगर आप नही जानते है तो वर्ल्ड टॉयलेट डे के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इन बटंस का क्या इस्तेमाल होता है. कब आपको छोटे वाला बटन इस्तेमाल करना होता है और कब बड़े वाला. पढ़िए इस खबर को पूरा.


कहां से आया ड्यूल फ्लश सिस्टम?
अभी तक टॉयलेट के फ्लश में आपको दो बटन आपको ज्यादातर मॉडर्न टॉयलेट में देखने को मिले होंगे. दो बटन वाली इस प्रणाली को ड्यूल फ्लश सिस्टम कहते हैं. बात अगर ड्यूल फ्लश (Dual Flush) सिस्टम के बारे में तो ये अनोखा और महत्वपूर्ण विचार अमेरिकी इंडस्ट्रियल डिजाइनर विक्टर पैपनेक के दिमाग से आया था. विक्टर पेपनेक ने सन 1976 में अपनी किताब ‘Design For The Real World’ में भी इसका जिक्र किया है.


होती है पानी की बचत
मॉर्डन टॉयलेट्स में ज्यादातर दो तरह के बटन होते हैं. इनमें से एक बटन एग्जिट वॉल्व से जुड़ा होता है. फ्लश के बड़े बटन को प्रेस करने से तकरीबन 6 लीटर पानी निकलता है तो वहीं, छोटा बटन दबाने से 3 से 4.5 लीटर तक पानी निकलता है. अब आइए जानते हैं कि इससे कैसे और कितने पानी की बचत होती है.


साल भर में बचता है हजारों लीटर पानी!
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अगर एक घर में सिंगल फ्लश (Single Flush) की जगह ड्युल फ्लशिंग (Dual Flushing) कांसेप्ट का इस्तेमाल किया जाता है तो पूरे साल में लगभग 20 हजार लीटर तक पानी की बचत की जा सकती है. हालांकि, ड्यूल फ्लश का इंस्टॉलेशन सामान्य फ्लश से थोड़ा महंगा होता है, लेकिन इसकी वजह से आपके पानी के बिल में भी कटौती होने की पूरी संभावना होती है. इसलिए अगली बार पानी की जरूरत के हिसाब से ही बटन का इस्तेमाल करें और पानी बचाने में अपना सहयोग दें.


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