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6 सालों तक चला था ये युद्ध... 6 से 7 करोड़ सैनिकों की गई थी जान

World War History: साल 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था. इस युद्ध में कई करोड़ लोगों की जिंदगियां खत्म हो गई थीं. इस युद्ध में पूरी दुनिया 2 हिस्सों में बंट गई थी.

World War History: विश्व में वैसे तो कई युद्ध हुए हैं, जिनमें से कुछ साम्राज्य को लेकर थे तो कुछ अपने सम्मान को लेकर. लेकिन इन सभी युद्धों में से अगर कोई युद्ध था, जिसने बेरहमी की सारी हदें पार कर दी थीं तो वो है साल 1939 में हुआ द्वितीय विश्व युद्ध. इस युद्ध में कई करोड़ लोगों की जिंदगियां खत्म हो गई थीं.

पूरी दुनिया 2 हिस्सों में बंट गई थी

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत साल 1939 में हुई. इस वक्त पूरी दुनिया 2 हिस्सों में बंट गई थी. जहां एक तरफ तो मित्र राष्ट्र थे, जिसमें फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, अमेरिका, सोवियत संघ और चीन शामिल थे. वहीं दूसरी तरफ धुरी शक्तियां, जिसमें जर्मनी, इटली और जापान देश शामिल थे. यह युद्ध इतिहास का अब तक का सबसे लंबा युद्ध है, जो कि 6 सालों तक चला. हालांकि कोई भी युद्ध अचानक से शुरू नहीं होता है, वैसे ही इस युद्ध के लिए भी काफी समय से बीज बोए जा रहे थे.

जापान का चीन पर हमला

साल 1937 में धुरी शक्तियों में से एक देश यानी जापान ने मार्को पोलो ब्रिज हादसे को लेकर चीन पर हमला कर दिया और बीजिंग पर कब्जा कर लिया. जापान के इस हमले में सोवियत संघ ने चीन का साथ दिया लेकिन आगे चल कर 3 ही महीने बाद इस छोटे से जंग में चीन बीजिंग के साथ-साथ शंघाई भी हार गया. जापान ने अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए कई लाखों नागरिकों के साथ निहत्थे सैनिकों की भी हत्या कर दी.

जर्मनी का पोलैंड पर हमला 

चीन और जापान के बीच अभी जंग चल ही रही थी कि साल 1939 में जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया जिसके बाद फ्रांस ने जर्मनी पर हमले का आदेश जारी कर दिया. इस घोषणा के बाद इंग्लैंड के साथ अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने फ्रांस का साथ देने आगे आ गए. इस युद्ध में जर्मनी ने धीरे-धीरे 1939 से 1941 के बीच यूरोप के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया. इस जंग के साथ-साथ अन्य देशों के बीच भी जंग छिड़ गई. वैसे तो जंग सिर्फ इन नामी देशों के बीच थी, लेकिन इस युद्ध से पूरा विश्व बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो गया.

70 से ज्यादा देश प्रभावित हुए

इस द्वितीय विश्व युद्ध में 70 से ज्यादा देश प्रभावित हुए. इतने साल तक चली इस जंग में 10 करोड़ सैनिकों ने भाग लिया था. जिसमें से 6 से 7 करोड़ सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इस युद्ध का अंत तब हुआ जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नाम के शहर पर परमाणु हमला किया. इस हमले की तारीख 6 अगस्त और 9 अगस्त साल 1945 थी. इस हमले में काफी लोग मारे गए. अमेरिका द्वारा किया गया परमाणु हमला इतना शक्तिशाली था कि आज भी हिरोशिमा और नागासाकी में उसका प्रभाव देखने को मिलता है.

भारतीय सैनिक भी लड़ रहे थे

इस हमले के बाद से 2 सितंबर को औपचारिक तौर पर इस युद्ध को खत्म करने की घोषणा की गई. इस युद्ध में कई भारतीय सैनिक भी शामिल थे. युद्ध की वजह से जब तबाही मचने लगी तो 25 लाख से ज्यादा भारतीय सैनिक विश्व भर में लड़ते रहे. जिनमें से 87 हजार से ज्यादा सैनिकों के मृत्यु की खबर सामने आई, इसके अलावा कई सारे सैनिक लापता भी हो गए.

जर्मनी और जापान में सैन्यवाद का उदय

द्वितीय विश्व युद्ध के कई प्रमुख कारण थे.उनमें प्रथम विश्व युद्ध के बाद होने वाली वर्साय संधि की कठोर शर्तें, आर्थिक मंदी, तुष्टीकरण की नीति, जर्मनी और जापान में सैन्यवाद का उदय, राष्ट्र संघ की विफलता आदि कारण प्रमुख हैं. जापान में सैन्यवाद के उदय प्रथम रूस-जापान युद्ध 1904-1905 के बाद तेजी से बढ़ने लगा.

इस युद्ध के बाद जापान सैन्य महत्व को समझ चुका था और सैन्यवाद दिशा की ओर बढ़ने लगा. इसके अलावा, जापान में राष्ट्रवाद की भावना ने भी सैन्यवाद को बढ़ावा दे दिया. जर्मनी में भी सैन्यवाद का उदय हुआ, जिसमें बोल्शेविक का भय, आर्थिक संकट और राष्ट्रवाद की भावना शामिल थी. 

हिटलर का पोलैंड पर आक्रमण

हिटलर के पोलैंड पर आक्रमण करने के कई कारण थे. जिसमें से पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण ये था कि वो जर्मन राष्ट्र को सुपीरियर समझता था और उसे लगता था कि उसे दुनिया पर नियंत्रण रखने का अधिकार है. दूसरा हिटलर को जर्मनी की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए उपेक्षित क्षेत्रों की आवश्यकता थी. तीसरा हिटलर का मानना था कि वो पोलैंड के राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का इस्तेमाल करते हुए अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता था.

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