एक दौर था जब भारत को सोने की चीड़िया कहा जाता था. यहां इतना सोना था कि मुगलों और अंग्रेजों के बेहिसाब लूट के बाद भी, देश में इतना गोल्ड है कि अगर इसे इकट्ठा कर दिया जाए तो सोने का पूरा एक पहाड़ खड़ा हो जाए. हालांकि, आज हम बात सोने की नहीं बल्कि एक ऐसे हीरे की कर रहे हैं, जो निकला तो भारतीय खान से लेकिन उस पर आज मालिकाना हक कतर की रॉयल फैमिली का है. ये नीले रंग का हीरा एक अंगूठी में लगा है और उस अंगूठी की कीमत 80 मिलियन डॉलर, यानी आज के हिसाब से भारतीय रुपये में करीब 657 करोड़ 86 लाख 80 हजार के आसपास है. इस अंगूठी को दुनिया विटल्सबैक ग्राफ डायमंड रिंग के नाम से जानती है.


किसके पास है ये अंगूठी


ये शानदार अंगूठी इस वक्त कतर की रॉयल फैमिली के पास है. हालांकि, पहले ये ब्रिटेन के लॉरेन्स ग्राफ के पास था. पहली बार इस हीरे को बाजार में ऑस्ट्रिया और बोवारियन क्राउन ज्‍वेलरी मार्केट में देखा गया था. इसके बाद साल 2008 में लंदन के एक ज्वैलर लॉरेन्स ग्राफ ने इस हीरे को 2.34 करोड़ डॉलर यानी उस वक्त के करीब 152 करोड़ रुपए में खरीदा लिया.




इसे खरीदने के बाद लॉरेन्स ग्राफ ने हीरे में कांट छांट किया और इसे नए सिरे से तैयार करके करीब 4.5 कैरेट डायमंड इसमें से कम कर दिया. इस फिनिशिंग से ये हीरे की अंगूठी और ज्यादा खूबसूरत हो गई और इसकी कीमत कई गुना बढ़ गई. इसके बाद साल 2011 में कतर की रॉयल फैमली ने इस हीरे की अंगूठी को 8 करोड़ डॉलर यानी उस वक्त के हिसाब से 520 करोड़ रुपए में खरीद लिया. हालांकि, आज के हिसाब से 8 करोड़ डॉलर की कीमत भारतीय रुपये में 657 करोड़ 86 लाख 80 हजार है.


कहां से निकला था ये हीरा


ये हीरा मूल रूप से भारत के आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में पड़ने वाले कोल्लूर खदान से निकला था. बहुत दिनों तक ये हीरा भारतीय राजाओं के पास रहा, लेकिन अंग्रेजों ने जब भारत में लूट मचाई तो उन्होंने इसे भी लूट लिया. लिखित रूप से इस हीरे की अंगूठी के बारे में जो बात दर्ज है, वो ये है कि इसे साल 1664 में स्पेन के राजा फिलिप चतुर्थ ने अपनी बेटी मार्गरेट को उनकी शादी में उपहार के तौर पर दिया था.


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